राइस मिलर्स सरकार को लगा रहे चूना
रमेश सरोए/ हप्र
करनाल, 21 जून
करनाल के कई राइस मिलर्स का सरकार को चावल वापस लौटाने का ट्रेक रिकार्ड ठीक नहीं रहा है। कई राइस मिलर्स सरकार को अरबों रुपए का नुकसान पहुंचा चुके हैं। इसे देखते हुए सरकार भी करनाल पर विशेष निगरानी रखती है । करनाल धान के हब के रूप में विख्यात है। 2 सौ से अधिक राइस मिलर्स सरकार से धान लेकर मिलिंग का काम करते हैं।
सरकार अरबों रुपए का सरकारी धान खरीदकर राइस मिलर्स के हवाले कर देती है, बावजूद राइस मिलर्स सरकार की नरमी का फायदा उठाने से बाज नहीं आते।
इस बार भी अकेले करनाल जिले के करीब 93 राइस मिलर्स ऐसे हैं, जिन्होंने सरकार का करीब 80 हजार मीट्रिक टन अर्थात 8 लाख क्विंटल चावल पेडिंग पड़ा है।
चावलों की इतनी बड़ी मात्रा देखते हुए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के निदेशक मुकुल कुमार ने कस्टम मिलिंग राइस को लेकर बुधवार को जिला के विभिन्न राइस मिल मालिकों के साथ एक समीक्षा बैठक की। हालांकि केंद्र सरकार ने राइस मिलर्स को 30 जून तक चावल वापस करने की मोहलत दी है, फिर भी सरकार चावल वापस करने में देरी करने वाले मिलर्स पर दबाव बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है।
बैठक में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की संयुक्त निदेशक डॉ. अनीता खरब, एफसीआई के जिला प्रबंधक इन्द्रनील मंडल, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के जिला नियंत्रक अनिल कालड़ा, हैफेड के डीएम उधम सिंह, वेयर हाऊसिंग कॉर्पोरेशन के डीएम मनोज पराशर तथा राइस मिल एसोसिएशन के प्रधान विनोद गोयल भी मौजूद रहे।
सुबह 9 से 5 बजे तक तोल कांटा खुले रहेंगे
निदेशक मुकुल कुमार ने कहा कि जो भी राइस मिल मालिक चावल की आपूर्ति नहीं कर सके हैं, वे समय रहते इसे पूरा करें अन्यथा पेनल्टी लगाई जाएगी। निदेशक ने मिल मालिकों की समस्याएं भी सुनीं और कहा कि बारदाने की कोई कमी नहीं रहेगी। मीटिंग में मौजूद एफसीआई के जिला प्रबंधक को उन्होंने निर्देश दिए कि वे सुबह 9 से सांय 5 बजे तक तोल कांटा खुला रखेंगे।