मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

Chaitra Navratri 2025 : दो हजार साल पुराना है बिहार का यह प्राचीन मंदिर, मां दुर्गा ने यहीं किया था असुरों का वध

10:28 PM Apr 02, 2025 IST

चंडीगढ़, 2 अप्रैल (ट्रिन्यू)

Advertisement

Chaitra Navratri 2025 : मां मुंडेश्वरी मंदिर बिहार के कैमूर जिले के कुदरा ब्लॉक में स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है और मां दुर्गा के एक रूप की पूजा का केंद्र है। यह मंदिर प्राचीन समय से अस्तित्व में है और यहां के धार्मिक महत्व के कारण लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।

मंदिर का इतिहास

Advertisement

मां मुंडेश्वरी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। इसे भारत के प्राचीन मंदिरों में गिना जाता है। यह 108 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है और इसका निर्माण लगभग 2,000 साल पहले किया गया था। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पहले राजपूतों द्वारा किया गया था। हालांकि कुछ लोग इसे गुप्त काल का भी मानते हैं।

600 फीट उंचाई पर स्थित है मंदिर

600 फीट उंची पंवरा पहाड़ी पर स्थित मां मुंडेश्वरी मंदिर की वास्तुकला बहुत ही सुंदर और शास्त्रीय शैली में बनाई गई है। यह मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 106 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर के भीतर मां दुर्गा के रूप में पूजा की जाती है। मंदिर में देवी की मूर्ति के साथ-साथ अन्य कई देवी-देवताओं की भी प्रतिमाएं हैं।

धार्मिक महत्व

मां मुंडेश्वरी मंदिर का धार्मिक महत्व है। यह मंदिर एक शक्तिपीठ के रूप में माना जाता है, जहां देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। यहां की पूजा विधि और अनुष्ठान बहुत ही प्राचीन व पारंपरिक है। मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु नवरात्रि और अन्य धार्मिक अवसरों पर दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर में विशेष रूप से शारदीय नवरात्रि के दौरान पूजा अर्चना की जाती है। इस दौरान यहां विशेष मेला लगता है। श्रद्धालु यहां मां की पूजा करके अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए आते हैं। इसके अलावा, मंदिर में प्रतिदिन पूजा होती है और यहां के पुजारी श्रद्धालुओं को धार्मिक शिक्षाएं भी प्रदान करते हैं।

मंदिर को लेकर पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मंदिर में ही मां ने चंड-मुंड नाम के दो अत्याचारी असुरों का वध किया था। इस कारण मंदिर का नाम मुंडेश्वरी पड़ा। मां मुंडेश्वरी मंदिर के कुछ जरूरी नियम भी है। मंदिर प्रशासन ने नियम बनाया है, जिसके तहद मंदिर की दीवार पर नारियल न फोड़ने और सिंदूर लगाने की मनाही है। इसके अलावा मंदिर में हर किसी को सभ्य कपड़ों में ही एंट्री मिलती है।

ऐसे पहुंचे

मां मुंडेश्वरी मंदिर दिल्ली और पटना जैसे बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहां तक पहुंचने के लिए सड़क, रेल और हवाई मार्ग का उपयोग किया जा सकता है। पटना से यहां लगभग 200 किलोमीटर की दूरी है। यहां आने के लिए श्रद्धालुओं को पहले कैमूर जिले तक पहुंचना पड़ता है और फिर कुदरा ब्लॉक से मंदिर तक पहुंचने के लिए टैक्सी या स्थानीय वाहन उपलब्ध होते हैं।

Advertisement
Tags :
Bihar TempleChaitra NavratriChaitra Navratri 2025Chaitra Navratri StoriesDainik Tribune Hindi NewsDainik Tribune newsHindi NewsHindu DharmHindu ReligionJai Maa Durgalatest newsMaa Mundeshwari TempleNavratri 2025Religious beliefsReligious Storiesचैत्र नवरात्रिदैनिक ट्रिब्यून न्यूजहिंदी न्यूज