जागरूकता सही इलाज और सामूहिक प्रयासों से ही खत्म होगी टीबी
चंडीगढ़, 26 मार्च(ट्रिन्यू)
टीबी सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि एक सामाजिक चुनौती भी है, जिसे विज्ञान, जागरूकता और दृढ़ संकल्प से हराया जा सकता है।" विश्व टीबी दिवस 2025 के अवसर पर फोर्टिस अस्पताल, लुधियाना ने क्षय रोग के उन्मूलन के लिए समय पर पहचान, सही इलाज और सामूहिक प्रयासों को सबसे प्रभावी हथियार बताया है।
अस्पताल के एडिशनल डायरेक्टर – पल्मोनोलॉजी और क्रिटिकल केयर, डॉ. सुशील गुप्ता ने कहा, "टीबी को खत्म करने के लिए हमें बहुआयामी रणनीति अपनानी होगी। जल्दी पहचान, उपचार का पूरा कोर्स और जन-जागरूकता इसमें सबसे अहम हैं।"
टीबी उन्मूलन के लिए जरूरी कदम
भारत सरकार और चिकित्सा संस्थान आणविक (मॉलिक्यूलर) डायग्नोस्टिक्स में सुधार और बेहतर उपचार सुविधाओं के जरिए देश को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। डॉ. रणदीप सिंह ने कहा, "टीबी के उन्मूलन के लिए सिर्फ चिकित्सा विज्ञान ही नहीं, बल्कि समाज की भागीदारी भी जरूरी है।" उन्होंने जोर दिया कि बीसीजी टीकाकरण, संक्रमण रोकने के उपाय और सही इलाज से इस बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
कैसे पहचानें टीबी के लक्षण?
टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन यह लिम्फ नोड्स, सेंट्रल नर्वस सिस्टम (CNS), पेट, हड्डियों और जोड़ों तक भी फैल सकता है। इसके प्रमुख लक्षण हैं—
दो सप्ताह से ज्यादा लगातार खांसी
बिना वजह वजन घटना और कमजोरी
रात में अधिक पसीना आना
लिम्फ नोड्स में सूजन
इलाज में लापरवाही खतरनाक
टीबी के निदान के लिए स्पुटम टेस्ट, ब्रोंकोएवलर लैवेज (BAL), टिशू बायोप्सी, एक्स-रे और सीटी स्कैन किए जाते हैं। ड्रग-सेंसिटिव टीबी का इलाज आमतौर पर छह महीने के कोर्स से पूरा हो जाता है, लेकिन ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (DR-TB) के मामलों में इलाज अधिक जटिल और लंबा हो जाता है।
डॉ. गुप्ता ने चेताया, "यदि मरीज इलाज अधूरा छोड़ देते हैं, तो टीबी का बैक्टीरिया पहले से ज्यादा ताकतवर होकर उभर सकता है, जिससे बीमारी नियंत्रण से बाहर हो सकती है।"
विशेषज्ञों के अनुसार, टीबी की रोकथाम के लिए बीसीजी टीकाकरण, मास्क पहनने की आदत, खांसते समय मुंह ढकना और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से बचाव बेहद जरूरी है।