पीयू को मिला यूवी-सी सुरक्षात्मक कोटिंग के लिए पेटेंट
चंडीगढ़, 4 अप्रैल (ट्रिन्यू)
पुराने बुजुर्गों के नुस्खे और रसोईघर में आसानी से उपलब्ध हल्दी जैसे गुणकारी मसाला घातक यूवी-सी विकिरण (रेडिएशन) का प्रभाव खत्म करने और उसे रोकने में कारगर सिद्ध होगा। हल्दी से प्राप्त की गयी एक कोटिंग जीवित प्राणियों और सभी प्रकार के पदार्थों को उच्च ऊर्जा पैराबैंगनी जोखिम से बचा सकती है। यह कोटिंग, जो 96 प्रतिशत तक हानिकारक यूवी-सी विकिरण को अवशोषित कर सकती है, चाहे वे जीवित प्राणी हों या फिर ठोस सामग्रियां हों। दोनों को उच्च-ऊर्जा पैराबैंगनी जोखिम से बचाने में यह कोटिंग महत्वपूर्ण रोल अदा कर सकती है। यह बहुक्रियाशील नवाचार विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवाओं, एयरोस्पेस, ऑटोमोटिव और निर्माण जैसे उद्योगों के लिए वरदान साबित होगा, जहां उपकरण और बुनियादी ढांचे नियमित रूप से स्टरलाइजेशन और कीटाणुशोधन के लिए उपयोग की जाने वाली यूवी-सी किरणों के संपर्क में आते हैं। यह अहम इनोवेशन पंजाब विश्वविद्यालय के केमिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (यूआईसीईटी) के मैटेरियल नैनोटेक्नोलॉजिस्ट और परिष्कृत इंस्ट्रुमेंटेशन लेबोरेटरीज (एसआईएल) के निदेशक प्रोफेसर गौरव वर्मा ने अपनी एक छात्रा डॉ. अंजलि शर्मा के साथ मिलकर किया है। पंजाब विश्वविद्यालय को इसी नवीन, बहुक्रियाशील सतह कोटिंग के लिए भारत सरकार से पेटेंट मिला है। प्रो. वर्मा ने नैनोकरक्यूमिन-हल्दी से प्राप्त कोटिंग एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट-को संशोधित मिट्टी के साथ मिलाकर हाइब्रिड नैनोफिलर से बनाई। उन्होंने यह आइडिया विवाहों में पारंपरिक हल्दी समारोह से लेते हुए नैनोफॉर्म में करक्यूमिन के व्युत्पन्न का उपयोग करने और इसे मिट्टी के साथ एकीकृत करने का प्रस्ताव रखा जो धरती से मिलता है। दोनों संयुक्त होने पर एक अद्वितीय नैनोहाइब्रिड भराव बनाते हैं जो एक प्लेटलेट के आकार का होता है जिसके साथ ओर्ब जैसी संरचनाएं चिपकी होती हैं। यह कोटिंग यूवी-अवरोधक क्षमता के अलावा, फॉर्मूलेशन संक्षारण प्रतिरोध में 100 प्रतिशत वृद्धि प्रदान करता है, लीचिंग को रोकता है, थर्मल और यांत्रिक स्थिरता को बढ़ाता है ।