Manipur: मणिपुर मामले पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार को घेरा, पूछे 9 सवाल
नयी दिल्ली, 5 अप्रैल (भाषा)
Manipur: कांग्रेस ने शनिवार को दावा किया कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की पुष्टि के लिए संसद के दोनों सदनों में सांविधिक संकल्प जल्दबाजी में पारित कराया गया ताकि असहज करने वाले सवालों से बचा जा सके।
लोकसभा ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की पुष्टि करने वाले सांविधिक संकल्प को बीते बुधवार देर रात पारित किया। इसके अगले दिन इसे राज्यसभा की मंजूरी मिली। हिंसाग्रस्त मणिपुर में 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, "मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की घोषणा पर सांविधिक संकल्प लोकसभा में तीन अप्रैल को तड़के तीन बजे और राज्यसभा में चार अप्रैल को सुबह चार बजे केवल एक घंटे की चर्चा के बाद पारित किया गया था। केंद्रीय गृह मंत्री के पास कुछ बुनियादी सवालों के जवाब नहीं थे।" रमेश ने मणिपुर मामले पर भाजपा से 9 सवाल किए।
- विधानसभा चुनावों में भाजपा और उसके सहयोगियों को भारी जनादेश मिलने के ठीक पंद्रह महीने बाद तीन मई, 2023 को मणिपुर क्यों जलने लगा?
- क्या यह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली तथाकथित डबल इंजन सरकार के शासन की विफलता नहीं थी?
- मोदी सरकार को राष्ट्रपति शासन घोषित करने में लगभग अठारह महीने क्यों लग गए, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त 2023 को खुद कहा था कि मणिपुर में ‘संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है'?
- क्या राष्ट्रपति शासन लागू करना 10 फरवरी 2025 से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में आसन्न अविश्वास प्रस्ताव के मद्देनजर मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होने का सीधा परिणाम नहीं था?
- मोदी सरकार ने जुलाई 2024 में एक प्रतिष्ठित आदिवासी महिला को मणिपुर के राज्यपाल पद से क्यों हटा दिया और उसके बाद लगभग छह महीने तक पूर्णकालिक राज्यपाल की नियुक्ति क्यों नहीं की?
- क्या ऐसा इसलिए था क्योंकि वह तथाकथित डबल इंजन सरकार की नीतियों और कार्यों से असहमत थीं?
- मई 2023 के बाद से प्रधानमंत्री ने मणिपुर का दौरा करने से इनकार क्यों किया है, जबकि उन्हें पूरी दुनिया में जाने और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों का दौरा करने का समय मिल गया है?
- मई 2023 में अपनी प्रारंभिक यात्रा के बाद केंद्रीय गृह मंत्री ने स्वयं राज्य का दौरा क्यों नहीं किया?
- अन्य राजनीतिक दलों के साथ कोई विचार-विमर्श क्यों नहीं किया गया?