पराली प्रबंधन से बढ़ायी खेतों की उर्वरता
करनाल, 13 अक्तूबर (हप्र)
करनाल जिले के रंबा गांव निवासी रघुविंद्र सिंह और उनका बेटा समर्थ सिंह पिछले 5 साल से पराली प्रबंधन कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसका सीधा प्रभाव उनकी फसल पर पड़ा है और आज वह 10 से 12 प्रतिशत अतिरिक्त फसल उत्पादन ले रहे हैं। इसके साथ-साथ फसल में डाले जाने वाले यूरिया की खपत को भी कम कर रहे हैं, क्योंकि भूमि की उर्वरक क्षमता में पराली प्रबंधन से काफी लाभ मिल रहा है। किसान का बेटा समर्थ सिंह आस्ट्रेलिया में पढ़ता है, लेकिन हर वर्ष फसल कटाई और बिजाई के वक्त गांव लौट कर पिता का खेती में हाथ बढ़ाता है।
समर्थ सिंह ने बताया कि पराली प्रबंधन के लिए दूसरे किसानों को भी आगे आना चाहिए। समर्थ ने बताया कि वे करीब 60 एकड़ जमीन की खेती करते हैं। इस जमीन में से कुछ एकड़ पर वे पराली की कटर से कटाई करके जमीन के अंदर ही (ईन सी टू मैनेजमेंट) मिला देते हैं जबकि कुछ में बेलर के माध्यम (एक्स सी टू मैनेजमेंट) से गांठें बनवाते हैं। दोनों ही स्थिति किसान के लिए फायदेमंद है।
समर्थ सिंह का कहना है कि आग लगाने से सबसे ज्यादा विकट समस्या पर्यावरण प्रदूषण की पैदा होती है। यह सीधे हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है। पराली में आग लगाने से जमीन की उर्वरक क्षमता भी घटती है। जमीन के मित्र कीट भी पराली के साथ जल जाते हैं।