हिसार हवाई अड्डा के नाम पर हो रहा जनता से धोखा : अनिल मान
उन्होंने कहा कि चिंता की बात यह है कि इस हवाई अड्डे को अभी तक न तो पीडब्ल्यूडी से और न ही पर्यावरण विभाग से अंतिम स्वीकृति प्राप्त हुई है। इतना ही नहीं, जिस क्षेत्र में यह हवाई अड्डा बनाया गया है, वहां अब भी नीलगाय और अन्य जंगली पशु खुलेआम घूमते देखे जा रहे हैं, जो परियोजना की तैयारियों और सुरक्षा मानकों पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं।
सरकार ने पहले जनता से वादा किया था कि हिसार को एक लॉजिस्टिक हब और अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाया जाएगा, जिससे न केवल अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी बढ़ेगी, बल्कि व्यापार और रोजगार के नए रास्ते भी खुलेंगे। मगर आज, जब केवल एक छोटा घरेलू एयरपोर्ट शुरू किया जा रहा है, तो यह वादा अपूर्ण और जनता के साथ धोखे जैसा प्रतीत होता है।
सरकार द्वारा 7000 एकड़ सरकारी भूमि, जिसकी बाज़ार कीमत लगभग 28,000 करोड़ रुपये आंकी गई है, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को स्थानांतरित की जा चुकी है। इस पर यह सवाल उठता है कि क्या केवल एक डोमेस्टिक एयरपोर्ट के लिए इतनी विशाल जमीन वाकई आवश्यक थी या यह भूमि भविष्य में किसी निजी उद्योगपति अडाणी या अंबानी को सौंपने की तैयारी है।
इस सबके बीच आम जनता को फिर से नजरअंदाज कर दिया गया है। प्रतिदिन 5,000 से 7,000 यात्री हिसार से दिल्ली और अन्य शहरों तक यात्रा करते हैं, लेकिन उनके लिए अब भी न पर्याप्त बसें हैं, न ही कोई सुव्यवस्थित बस अड्डा। मूलभूत सुविधाओं की हालत भी दयनीय बनी हुई है। यदि सरकार इस हवाई परियोजना के खर्च का मात्र 10 प्रतिशत हिस्सा भी आम जनता की यात्रा सुविधाओं और बुनियादी ढांचे पर खर्च करती, तो आज हिसार में परिवहन व्यवस्था सुधर सकती थी, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा हो सकते थे।