अमृतसर में वक्फ के पास 1400 संपत्तियां
नीरज बग्गा/ ट्रिन्यू
अमृतसर, 5 अप्रैल
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की बात करें तो अमृतसर के पुराने इलाके में इसकी धार्मिक, आवासीय और वाणिज्यिक करीब 1400 संपत्तियां हैं। जलियांवाला बाग और स्वर्ण मंदिर की ओर जाने वाली सड़क पर ही 30 से अधिक दुकानें स्थित हैं। ये सभी संपत्तियां विभाजन से पहले की हैं, जब पंजाबी मूल के मुसलमान शहर की आबादी में बहुसंख्यक थे।
वक्फ के रिकॉर्ड के अनुसार, अमृतसर और तरनतारन जिलों में मस्जिदों, कब्रिस्तानों, तकिया और खानकाहों सहित 3378 सुन्नी संपत्तियों की पहचान की गयी है। इसे 9 जनवरी, 1971 को अधिसूचित किया गया था। पट्टी, तरनतारन और अजनाला में क्रमशः 416, 867 और 834 मुस्लिम संपत्तियां हैं। इनमें बड़े पैमाने पर कृषि भूमि शामिल है।
वक्फ इन संपत्तियों का एकमात्र संरक्षक है, जो किराया वसूलता है। वह मस्जिदों में इमामों के वेतन (6000 रुपये प्रति माह) का भुगतान करने के अलावा संरचनाओं के रखरखाव और मुकदमेबाजी पर भी खर्च करता है। वक्फ के मानदंडों के अनुसार वह संपत्ति के कलेक्टर रेट के 2.5 प्रतिशत से अधिक किराया नहीं
ले सकता।
सबसे पुरानी मस्जिद
जामा मस्जिद खलीफा रजा-ए-मुसाफा को शहर की सबसे पुरानी मस्जिद माना जाता है। यह मस्जिद उस जगह पर बनी है, जहां साईं हजरत मियां मीर ने हरमंदिर साहिब की नींव रखने के बाद नमाज अदा की थी। जलियांवाला बाग से सटी यह मस्जिद स्वर्ण मंदिर से महज 100 गज की दूरी पर है। इसके साथ कुछ दुकानें भी जुड़ी हुई हैं। मस्जिद जान मोहम्मद का निर्माण लगभग 165 साल पहले एक व्यवसायी परिवार से ताल्लुक रखने वाले जान मोहम्मद ने करवाया था। इसके ग्राउंड फ्लोर पर 15 से ज्यादा दुकानें हैं। लगभग एक एकड़ में फैली 156 साल पुरानी मस्जिद खैरुद्दीन सबसे बड़ी है। हॉल गेट एरिया में स्थित इस मस्जिद में सात दुकानें हैं।