धान की खेती पहली जून से, 8 घंटे मिलेगी नियमित बिजली : मान
लुधियाना, 12 अप्रैल (निस)
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने पहली जून से राज्य में धान की जोन स्तर पर खेती शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए भूजल बचाने की दृढ़ प्रतिबद्धता भी दोहराई।
मुख्यमंत्री ने आज यहां सरकार-किसान मुलाकात के दौरान आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कहा - हमने राज्य को तीन जोनों में बांटा है और तीन जोनों में पड़ने वाले जिलों में धान की खेती 1 जून, 5 जून और 9 जून को शुरू होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब देश का अन्नदाता है क्योंकि यह राष्ट्रीय अनाज भंडार में 45 प्रतिशत अनाज का योगदान देता है। उन्होंने दुख जताया कि धान के मौसम के 70 दिनों में पंजाब नौ गोबिंद सागर झीलों के बराबर पानी निकालता है, जो बहुत बड़ी मात्रा है। मान ने कहा कि इतना पानी निकालकर हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को पानी से वंचित कर देंगे, जो हमारी अस्तित्व का मूल स्रोत है। मान ने कहा कि राज्य सरकार के कठिन प्रयासों के कारण भूजल का स्तर बढ़ने लगा है और केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार इसमें एक मीटर की वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि फरीदकोट, बठिंडा, फाजिल्का, फिरोजपुर और श्री मुक्तसर साहिब जिलों में धान की बुवाई पहली जून से शुरू होगी। गुरदासपुर, पठानकोट, अमृतसर, तरनतारन, रूपनगर, एसएएस नगर (मोहाली), श्री फतेहगढ़ साहिब और होशियारपुर जिलों में 5 जून से बुवाई शुरू होगी।
मान ने कहा कि बाकी जिलों लुधियाना, मोगा, जालंधर, मानसा, मलेरकोटला, संगरूर, पटियाला, बरनाला, शहीद भगत सिंह नगर और कपूरथला में बुवाई 9 जून से शुरू होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे धान के मौसम के दौरान राज्य के सभी जिलों में बिजली आपूर्ति के लिए बोझ कम करने में मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार धान के मौसम के दौरान किसानों को कम से कम आठ घंटे नियमित बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में नहरी पानी उपलब्ध है, वहां रात के समय आठ घंटे बिजली आपूर्ति की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसानों को किसी भी तरह की परेशानी से बचाने के लिए मौसम के दौरान डीएपी और यूरिया की कालाबाजारी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि लगातार बढ़ती लागत और घटती आय के कारण कृषि अब लाभकारी नहीं रही। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कारण राज्य के किसान दोराहे पर हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि बासमती की खेती पर निश्चित मूल्य उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।