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मिलावटी खान-पान
खाने-पीने की चीजों में मिलावट की खबरें अक्सर सुर्खियां बनती हैं, जिससे इनकी बिक्री में कमी आती है और दुकानदारों को नुकसान होता है। मिलावट करने वाले व्यापारियों को समझना चाहिए कि ज्यादा पैसे वाले लोग महंगी चीजें खरीद सकते हैं, इसलिए उन्हें मिलावट नहीं करनी चाहिए। सरकार जागरूकता अभियान और हेल्पलाइनों के जरिए इस समस्या से निपटने की कोशिश कर रही है, लेकिन जब तक लोग गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देंगे, ये प्रयास सफल नहीं हो सकते।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
जनसंख्या नियंत्रण जरूरी
जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व में नंबर वन है और भ्रष्टाचार में भी पीछे नहीं है, जिससे विकास में विषमता बनी रहती है। यह असुरक्षा की भावना को बढ़ाता है। जनसंख्या वृद्धि के कारण संसाधन घट रहे हैं, और भ्रष्टाचार के कारण लोगों के अधिकार छीने जा रहे हैं। ऐसे में खुशी कैसे बढ़ सकती है? खुशी में वृद्धि के लिए जनसंख्या और भ्रष्टाचार दोनों पर नियंत्रण जरूरी है।
बी.एल. शर्मा, तराना, उज्जैन
जनजातीय बोली का संरक्षण
पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बैगानी और गोंडी बोली बोलने वाले जनजाति समाज के आदिवासी बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि जगाने के लिये उनकी ही क्षेत्रीय बोली में अध्यापन कराने की तैयारी निस्संदेह प्रशंसनीय है। ये प्रयोग सम्पूर्ण मध्य प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र में लागू होना चाहिए। निस्संदेह, क्षेत्रीय बोलियों का संरक्षण होना आवश्यक है। क्षेत्रीय बोली में शुद्धता एवं प्रयोग करने में कमी आती जा रही है। जो बेहद चिंताजनक है। क्षेत्रीय बोली को दिनचर्या में शामिल किया जाना बेहद आवश्यक है। वे ज्यादातर खड़ी बोली में मिश्रित अंग्रेजी शब्दों का समावेश कर बोलने लगे हैं जिसके कारण क्षेत्रीय बोली प्रभावित होती जा रही है। क्षेत्रीय भाषाओं में प्राथमिक शिक्षा दिए जाने से इन्हें न सिर्फ बढ़ावा मिलेगा,अपितु इनके माध्यम से भावी पीढ़ी अपनी मिट्टी और लोक संस्कृति से जुड़ी रह सकेगी
संजय वर्मा,मनावर,धार, म.प्र.