पाठकों के पत्र
जिम्मेदार कौन
उनतीस मार्च के दैनिक ट्रिब्यून में क्षमा शर्मा के लेख में टीआरपी के लिए मीडिया द्वारा रिया चक्रवर्ती को दोषी ठहराने के मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है। सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या मामले में बिना दोष साबित हुए रिया को जेल भेजा गया और मीडिया ने उसे दोषी ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेख में यह सवाल उठाया गया है कि रिया और उसके परिवार को बिना किसी ठोस प्रमाण के अपमानित करने का जिम्मेदार कौन होगा? न्यायालय को इस पर पाबंदी लगाने की आवश्यकता है।
शामलाल कौशल, रोहतक
वृक्षों की रक्षा
संपादकीय ‘इंसान जैसी हत्या’ में अदालत के फैसले का उल्लेख किया गया है। पेड़ हमें पानी, प्राणवायु, छाया, फल, फूल और जड़ी-बूटी जैसे जीवन के लिए आवश्यक तत्व प्रदान करते हैं, और अगर हम इन्हें काटने लगेंगे तो हमसे बड़ा निर्दयी कोई नहीं हो सकता। कोर्ट के इस निर्णय से सभी को सबक लेना चाहिए और प्रशासन को बिना अनुमति पेड़ काटने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन
असली समाधान निकले
देश के विभिन्न राज्यों में नाम बदलने का सिलसिला जारी है, और सरकार इसे उपलब्धि मान रही है। मध्य प्रदेश सरकार ने बेरोजगार युवाओं को ‘आकांक्षी युवा’ नाम दिया है, लेकिन नाम बदलने से बेरोजगारी की समस्या हल नहीं होगी। राज्य सरकार को युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने होंगे, ताकि उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप समाधान मिल सके।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
गहराता जल संकट
उनतीस मार्च के दैनिक ट्रिब्यून में पंकज चतुर्वेदी का लेख 'पारंपरिक स्रोतों का संरक्षण और प्रबंधन जरूरी' जल संकट पर चिंता व्यक्त करता है। लेख में बताया गया है कि देश के अधिकांश शहरों में पानी की कमी है। पारंपरिक जल स्रोतों के खत्म होने, अनियोजित शहरीकरण और जल की बर्बादी के कारण यह संकट गहरा रहा है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल