पाठकों के पत्र
प्लास्टिक का खतरा
दैनिक ट्रिब्यून के 2 अप्रैल के सम्पादकीय में बताया गया कि प्लास्टिक मनुष्य जीवन के लिए खतरे की घंटी है। विकासशील देशों में सरकारें मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान देती हैं, जिससे स्वास्थ्य मानक प्रभावित होते हैं। अध्ययन के अनुसार, प्लास्टिक बोतलों से शरीर में प्लास्टिक कण प्रवेश करते हैं, जो रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करते हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध तो है, लेकिन उत्पादक उद्योगों पर क्यों नहीं?
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़, रेवाड़ी
गुरुता में गिरावट
पादरी बलजिंदर मसीह को बलात्कार केस में मिली आजीवन कारावास की सजा ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। देश में धर्म गुरुओं पर लोग अंधभक्तों की तरह विश्वास करते हैं जिसके चलते वे उनके जाल में फंस जाते हैं। लोगों को ऐसे झूठे धर्मोपदेशकों से बचकर रहना चाहिए और अपने विवेक का सही इस्तेमाल करना चाहिए ताकि किसी के साथ ग़लत न होने पाए।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली
अन्य खेलों को मंच दें
आईपीएल ने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है और इसमें कई नए खिलाड़ियों का प्रादुर्भाव हुआ है। इसके माध्यम से देश में नये बैट्समैन, बॉलर और क्षेत्ररक्षक अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं। आईपीएल ने इन खिलाड़ियों को प्रतिभा दिखाने का एक बड़ा अवसर प्रदान किया है। इसी तरह, अन्य खेलों को भी महत्व देने की आवश्यकता है। उनके लिए भी आईपीएल जैसे मंच की शुरुआत की जानी चाहिए।
एमएम राजावत, शाजापुर
नैतिक शिक्षा जरूरी
आज की तकनीकी संसाधनों और कान्वेंट संस्कृति ने बच्चों को बौद्धिक रूप से सक्षम तो बना दिया है, लेकिन उनकी नैतिकता और संवेदनशीलता प्रभावित हुई है। पारंपरिक खेलों की बजाय मोबाइल पर अपराधों को बढ़ावा देने वाली सामग्री मिल रही है। परिवार और स्कूल को मिलकर बच्चों को नैतिकता की शिक्षा देनी चाहिए।
अमृतलाल मारू, इंदौर, म.प्र.