किसान आंदोलन का भविष्य अधर में : चढ़ूनी
शाहाबाद मारकंडा, 16 मार्च (निस)
भाकियू चढूनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने रविवार को कहा कि भारत सरकार ने एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने के बारे में जो कमेटी बनाई थी, उसका आज तक कोई परिणाम सामने नहीं आया। अगर किसान, मजदूर (2020-21) के आंदोलन की तरह इकट्ठे हो भी जाएं तो आर-पार या करो-मरो की लड़ाई लड़ने को तैयार नहीं होते, अगर इकट्ठे हो भी जाएं तो आर-पार का आंदोलन लड़ने पर सहमति नहीं बनती। जितना आंदोलन लंबा होता है, उतना कमजोर होता है, इसलिए किसान आंदोलन का भविष्य अधर में लटका है। यह कोई छिपा नहीं कि सरकार ने एमएसपी पर जो 34 सदस्यीय कमेटी बनाई थी, उसमें बाद में 7 मुद्दे और जोड़ दिए गए तथा 3 व्यक्तियों को एसकेएम में शामिल करने को कहा गया, सरकार ने 7 मुद्दे किस लिए जोड़े तथा 34 सरकारी सदस्यों में 3 सदस्य अगर एसकेएम दे भी देती तो वह क्या कर सकते थे।
चढ़ूनी ने कहा कि किसानों, मजदूरों को मिलकर पूंजीवादी राजनीति पर कब्जा करना होगा, क्योंकि वोट किसानों व मजदूरों की है, शासन कॉरपोरेट का है। जब तक कॉरपोरेट का शासन रहेगा तब तक किसान, मजदूरों के पक्ष में कानून बनने की कोई उम्मीद हो ही नहीं सकती। दूसरा आंदोलन के माध्यम से भी यह संभव है बशर्ते पूरे देश के किसान एक मंच पर आकर आर-पार, करो या मरो की लड़ाई लड़ें लेकिन दुखद पहलू यह है कि न तो राजनीति में किसानों की सहमति बन पाती है और न आंदोलन में इकट्ठा रह सकते हैं। अब तो एसकेएम भी कई बन गए हैं, जिससे किसान आंदोलन का भविष्य धूमिल नजर आता है, जिसका लाभ सरकार
उठा रही है।