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दिल की सेहत का रखें ख्याल लाइफस्टाइल में बदलाव से

04:05 AM Apr 02, 2025 IST

कामकाजी व्यस्तता और जिम्मेदारियों के चलते अकसर अपनी सेहत हम नजरअंदाज करते हैं।

यदि दिल के दौरे के लक्षण महसूस हों तो तुरंत डॉक्टरी सलाह लें और लाइफस्टाइल बदलें। हृदय रोग में सावधानी व उपचार को लेकर पीजीआई, चंडीगढ़ के कार्डियोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो. यशपाल शर्मा से विवेक शर्मा की बातचीत।
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ज़रा सोचिए, आप अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त हैं—ऑफिस की फाइलों में उलझे हैं या घर की जिम्मेदारियों में डूबे हुए हैं। अचानक सीने में हल्का दर्द महसूस होता है, बेचैनी होती है और पसीना आने लगता है। आप इसे गैस, एसिडिटी या सामान्य थकान समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन क्या यह दिल के दौरे यानी हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है?
बात यह है कि कई लोग इन लक्षणों को गंभीरता से नहीं लेते और जब तक डॉक्टर के पास पहुंचते हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो. यशपाल शर्मा के अनुसार, हार्ट अटैक के लक्षण अक्सर हल्के हो सकते हैं, लेकिन इन्हें नज़रअंदाज करना जानलेवा साबित हो सकता है।
पहले हार्ट अटैक को केवल बुजुर्गों की समस्या माना जाता था, लेकिन अब 30 से 40 वर्ष के युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। इसकी वजहें जानना जरूरी है ताकि समय रहते सतर्कता बरती जा सके। प्रो. यशपाल शर्मा का कहना है कि दूसरे देशों में भारत के मुकाबले लोगों को कम हार्ट अटैक होता है। उसका कारण यह है कि वहां फाइव डे वीक होता है, जिससे लोगों में काम का तनाव कम रहता है। रोजगार के अवसर पैदा होने चाहिए ताकि युवाओं का मानसिक तनाव कम हो सके।
हार्ट अटैक के प्रमुख कारण
हार्ट अटैक की वजहें कई हैं। हम इसे बिगड़े लाइफस्टाइल का परिणाम मान सकते हैं। जिसमें अस्वास्थ्यकर भोजन, सक्रियता की कमी और तनाव आदि शामिल हैं। मसलन, अनियमित और अस्वस्थ खानपान : अधिक तला-भुना और जंक फूड खाने से धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमने लगता है, जो हार्ट अटैक का मुख्य कारण बनता है। तनाव और मानसिक दबाव : ऑफिस वर्क, करियर की चिंता और निजी जीवन की परेशानियां दिल पर अतिरिक्त भार डालती हैं। शारीरिक गतिविधियों की कमी : घंटों एक ही जगह बैठकर काम करने की आदत से दिल कमजोर हो जाता है। धूम्रपान और शराब का बढ़ता चलन : निकोटिन और शराब हृदय की धमनियों को संकुचित कर देते हैं, जिससे रक्त संचार प्रभावित होता है। नींद की कमी और अनियमित जीवनशैली : पर्याप्त नींद न लेने से हार्मोनल असंतुलन होता है, जो ब्लड प्रेशर और हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
हार्ट अटैक के लक्षण
शरीर में कुछ बदलावों के संकेतों से हृदय रोग की पहचान करके जोखिम के बारे में जान सकते हैं-
अचानक सीने में दर्द या दबाव : यह दर्द बाएं हाथ, गर्दन, पीठ या जबड़े तक भी फैल सकता है। सांस लेने में तकलीफ : बिना किसी भारी काम के भी सांस फूलने लगना। अचानक बहुत थकान : खासकर महिलाओं में यह एक आम लक्षण होता है। पसीना आना और घबराहट : ठंडा पसीना आना या चक्कर आना। अपच या उल्टी : कई बार इसे गैस, एसिडिटी समझकर अनदेखा कर दिया जाता है।
जिन्हें हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा
हार्ट अटैक का जोखिम उम्र, कुछ बीमारियों से ग्रस्त और खास किस्म की जीवनशैली वाले लोगों में ज्यादा होता है। जिनमें शामिल हैं- 40 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष और 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं। हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल वाले लोग। अत्यधिक धूम्रपान और शराब पीने वाले। तनावग्रस्त और कम नींद लेने वाले लोग। निष्क्रिय जीवनशैली वाले। जिनके परिवार में हृदय रोगों का इतिहास रहा हो।
ऐसे करें बचाव
स्वस्थ आहार अपनाएं : हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज और ओमेगा-3 युक्त आहार लें। नमक और मीठे का सेवन नियंत्रित करें। नियमित व्यायाम करें : रोजाना 30 से 45 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी जरूरी है, जिसमें पैदल चलना, एक्सरसाइज, दौड़ना, योग और प्राणायाम शामिल करें। धूम्रपान और शराब से बचें : ये हृदय की धमनियों को संकुचित कर देती हैं, जिससे रक्त संचार बाधित होता है। तनाव प्रबंधन पर दें ध्यान : योग, ध्यान और गहरी सांस लेने की तकनीक अपनाएं। इससे मानसिक शांति महसूस होगी और दिल पर दबाव कम होगा। बीपी नियंत्रित रखें : समय-समय पर अपने हेल्थ की जांच कराते रहें और डॉक्टर की सलाह से दवाएं लें। रोजाना 7 से 8 घंटे तक की भरपूर गहरी नींद लेना जरूरी है।
हार्ट अटैक हो जाए तो तुरंत करें ये उपाय
तुरंत मेडिकल सहायता लें : समय पर इलाज से जान बचाई जा सकती है। मरीज को आराम से बैठाएं : लेटाने से सांस की तकलीफ बढ़ सकती है, इसलिए उसे सीधा बिठाएं और शांत रखें। एस्पिरिन चबाएं : 300 एमजी एस्पिरिन देने से खून के थक्के बनने की संभावना कम हो सकती है। नाइट्रोग्लिसरीन दें : अगर डॉक्टर ने पहले से इसकी सलाह दी हो तो नाइट्रोग्लिसरीन की गोली दें, जिससे रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती हैं। सीपीआर करें : अगर मरीज बेहोश हो जाए और सांस न ले रहा हो तो छाती को दबाकर कृत्रिम सांस देने की कोशिश करें। इससे दिल फिर से धड़क सकता है।
हार्ट अटैक के बाद जीवनशैली में बदलाव
डॉक्टर की सलाह से हल्का व्यायाम करें। टहलना और हल्की स्ट्रेचिंग करें। तनाव कम करेंद्ध रोजाना ध्यान और योग का अभ्यास करें। दवाएं समय पर लें व डॉक्टर से परामर्श लेते रहें। हार्ट अटैक खतरनाक जरूर है, लेकिन सही जीवनशैली व सतर्कता अपनाने से इसकी संभावना को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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