सचेत रहकर टालें घर के प्रदूषण का खतरा
रजनी अरोड़ा
घरेलू वायु प्रदूषण या इंडोर एयर पॉल्यूशन घर के वातावरण की हवा प्रदूषित होना है। आमतौर पर प्रदूषण घर से बाहर वातावरण में फैले प्रदूषण को माना जाता है। लेकिन हमारे घर के भीतर भी प्रदूषण साइलेंट किलर के समान मौजूद है। घर में इस्तेमाल किए जाने वाले कैमिकल, रसोई में खाना बनाते समय निकलने वाला धुआं, किचन वेस्ट जैसी चीजें प्रदूषक या एलर्जन तत्वों की श्रेणी में आते हैं। इनकी अधिकता से घर की चारदीवारी में भी सांस लेना मुश्किल हो जाता है। वायु में मौजूद जहरीले कण सांस लेने पर फेफड़े में प्रवेश कर जाते हैं। ब्लड के साथ मिलकर पूरे शरीर को हानि पहुंचाते हैं। संभव है कि हम घरेलू वायु प्रदूषण से अनभिज्ञ हों। लेकिन वर्तमान समय में घरेलू वायु प्रदूषण वातावरणीय प्रदूषण से कहीं ज्यादा खतरनाक है। एम्स के सेंटर फॉर कम्यूनिटी मेडिसिन ने एक रिसर्च में पाया कि घरेलू वायु प्रदूषण बाहर के मुकाबले 10 गुना ज्यादा खतरनाक हो सकता है। घर में खाना पकाने से निकलने वाला धुआं 20 साल से ज्यादा उम्र के 51 फीसदी युवाओं के फेफडों को नुकसान पहुंचा रहा है।
इन पर ज्यादा असर
घरेलू वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर घर में रहने वाले बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों पर पड़ता है। उन्हें सांस लेने में किसी तरह की समस्या, खांसी-जुकाम, सांस लेने में आवाज आना, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा या सीओपीडी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
घर में प्रदूषण कार्बनिक पदार्थों से
देखा जाए तो घर के अंदर और बाहर के प्रदूषक या एलर्जन तत्वों में थोड़ा अंतर होता है। घर में ज्यादातर कार्बनिक पदार्थों से प्रदूषण होता है जिनसे रिलीज होने वाले वाष्पशील कार्बनिक यौगिक और हाइड्रो कार्बन कैमिकल घर के अंदर की हवा को प्रदूषित करते हैं। दरअसल घर में वायु-संचार या वेंटिलेशन सिस्टम ठीक न होने और सूर्य की प्राकृतिक रोशनी अच्छी तरह न आ पाने की वजह से घर में मॉयश्चर बना रहता है। मॉयश्चर बढ़ने से दीवारों पर सीलन और फंगल इन्फेक्शन होने की संभावना रहती है। सीलन का मॉयश्चर घर की हवा को प्रदूषित करता है और सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। वहीं माइक्रोवेव, फ्रिज जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से निकलने वाली गैस से भी हवा प्रदूषित होती है। इसके अलावा कूलर का पानी अगर नियमित रूप से बदला न जाए या एसी के फिल्टर की सफाई नहीं की जाए तो उनमें काफी धूल और फंगल जीवाणु पनपते हैं जो हवा के साथ प्रवाहित होकर घर का वातावरण प्रदूषित करते हैं। ऐसे ही रसोई में खाना बनाते समय एग्ज़ास्ट फैन का इस्तेमाल न करने पर उठने वाला धुंआ घर को प्रदूषित कर देता है। वहीं फल-सब्जियों के छिलके, बचे हुए हिस्से खुले डस्टबिन में डालते हैं। उसमें बैक्टीरिया पनपते हैं जो हवा के साथ घर में फैलकर वायु को दूषित करते हैं। बता दें कि कीटनाशक स्प्रे या कॉयल का इस्तेमाल भी घरेलू प्रदूषण बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
बताने योग्य है कि सर्दियों में बंद कमरों में लंबे समय तक चलने वाले ऑयल हीटर या ऑयल गीज़र से कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस निकलती है जो घर की वायु को प्रदूषित कर देती है। ध्यान न देने पर दम घुटने से मौत भी हो सकती है। वहीं घर में इंडोर पौधे ज्यादा लगाना भी हानिकारक है। क्योंकि पानी डालने पर मिट्टी में लगातार नमी बनी रहने पर फंगस लग सकती है और हवा को प्रदूषित कर सकती है।
ऐसे करें बचाव
घर में वायु-संचार और सूर्य की रोशनी अंदर आने की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। घर चाहे छोटा हो, तो खिड़कियां-दरवाजे खोलने पर प्राकृतिक संसाधनों के संचार की व्यवस्था होनी चाहिए। सुबह-शाम एक-दो घंटे के लिए इन्हें जरूर खोलना चाहिए। अगर घर में वायु-संचरण की अच्छी व्यवस्था नहीं है, तो हमें 2-3 घंटे के बाद एग्जास्ट जरूर चलाना चाहिए। दरअसल एसी फिल्टर हर सप्ताह साफ करना चाहिए। एयर कूलर इस्तेमाल करते समय उसमें पानी भरा न रहने दें। वहीं रसोई में एग्ज़ास्ट फैन या चिमनी जरूर लगवाएं। याद रहे कि किचन-वेस्ट वाले डस्टबिन को हमेशा बंद करके रखा जाये ताकि बैक्टीरिया हवा को प्रदूषित न कर सकें। सही होगा यदि कीटनाशक दवाइयों या मॉस्कीटो रेपलैंट स्प्रे का बहुत ज्यादा उपयोग नहीं करें। घर की दीवारों पर मॉयश्चर की वजह से अगर सीलन की समस्या है, तो सीलनरोधी डिस्टेंपर करवा लें। अच्छी क्वालिटी के कैमिकल रहित पेंट और वार्निश इस्तेमाल करने चाहिए। ताकि वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों से बचाव हो सके। वहीं सर्दियों में ऑयल हीटर या ऑयल गीज़र के इस्तेमाल से बचना जरूरी है। खासकर हीटर पूरी रात न चलाएं। हीटर चलाते समय कमरे की खिड़की हल्की-सी जरूर खुली रखें। वहीं एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करते समय इसके मानकों को जरूर ध्यान में रखना चाहिए। यदि इंडोर पौधे लगाना चाहते हैं, तो दो या तीन गमले से ज्यादा नहीं लगाने चाहिए।
श्वसन तंत्र ऐसे रहेगा सुचारु
घर में भी अपने श्वसन तंत्र की हाइजीन का पूरा ध्यान रखना चाहिए। सुबह-शाम गुनगुने में नमक मिलाकर गरारे करने चाहिए। श्वसन तंत्र संबंधी समस्याओं में दिन में कम से कम दो बार स्टीम लेना फायदेमंद होता है। सर्दी-जुकाम या एलर्जी ज्यादा दिन रहे तो डॉक्टर को कंसल्ट करना चाहिए। पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार लेना चाहिए। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और प्रदूषण से जूझने में मदद मिलती है।
-डॉ. विद्या नायर, वरिष्ठ सांस रोग विशेषज्ञ, फरीदाबाद से बातचीत पर आधारित