धरोहरों की संभाल का जिम्मेदार प्रोफेशन
नरेंद्र कुमार
संग्रहालयों को व्यवस्थित करने और उनके प्रबंधन से संबंधित अध्ययन ज्ञान-विज्ञान के जिस क्षेत्र के तहत किया जाता है उसे ही म्यूजियम साइंस या म्यूजियोलॉजी कहते हैं। इसमें म्यूजियम में रखी विभिन्न वस्तुओं को व्यवस्थित करने की शिक्षा दी जाती है और अतीत की इन चीजों को वर्तमान के प्रासंगिक संदर्भों में जाना -समझा जाता है। म्यूजियोलॉजी का कोर्स पूरा करने के बाद देश के विभिन्न संग्रहालयों में प्रबंधन और देखरेख संबंधी नौकरी आसानी से मिल जाती है। म्यूजियोलॉजी के क्षेत्र में काम करने वालों को म्यूजियोलॉजिस्ट कहते हैं। इनमें कई अलग-अलग पद नाम वाले प्रोफेशनल होते हैं जैसे- क्यूरेटर, डिप्टी क्यूरेटर, रिसर्च एसोसिएट, मैनेजर आदि। एक जमाने में म्यूजियम सिर्फ सरकारी होते थे, आज सरकारी के साथ-साथ प्राइवेट म्यूजियमों की भी अच्छी खासी संख्या है, जिससे न सिर्फ हिंदुस्तान में किसी म्यूजियोलॉजिस्ट के लिए नौकरी पाने की भरपूर संभावना है बल्कि भारत के बाहर भी जहां यह क्षेत्र 15-20 फीसदी सालाना की रफ्तार से विकास कर रहा है। कुल मिलाकर इस क्षेत्र में कैरियर सुरक्षित है।
भूतकाल में रुचि, जिम्मेदारी का भाव
वास्तव में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के बीच के फर्क और सांस्कृतिक माहौल को समझने के लिए म्यूजियम में रखी चीजें अहम भूमिका निभाती हैं। म्यूजियम में न सिर्फ चीजों के रख रखाव की व्यवस्था होती है बल्कि लिखित रूप में हर चीज की विस्तार से जानकारी भी उपलब्ध होती है। म्यूजियम देश की धरोहर के भंडारगृह होते हैं। इनमें काम करने वाले लोग बेहद जिम्मेदार होते हैं। इस समय देश में जितने भी म्यूजियम हैं उन्हें कई अलग-अलग शाखाओं में विभाजित किया गया है, इनमें आर्ट म्यूजियम, हिस्ट्री म्यूजियम, आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम, साइंस एंड टेक्नोलॉजी म्यूजियम, मैरीटाइम म्यूजियम और मिलिट्री एंड वॉर म्यूजियम मुख्य हैं। म्यूजियोलॉजी का कैरियर उन्हीं लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जिन्हें भूतकाल में रुचि हो और जो यह जानना चाहते हों कि पुराने दौर में क्या चीजें बेहतर थीं और क्या खराब?
विषय के विस्तार से बढ़े अवसर
म्यूजियोलॉजी सामान्यतः आर्कियोलॉजी का एक विषय है। इस विषय में म्यूजियम आर्गेनाइजेशन और एडमिनिस्ट्रेशन तथा म्यूजियम आर्किटेक्चर से जुड़ी जानकारियां दी जाती हैं। कुछ सालों पहले तक म्यूजियोलॉजी के अंतर्गत सिर्फ आर्कियोलॉजी, आर्ट और पेंटिंग जैसे विषयों की ही जानकारी दी जाती थी। लेकिन पिछले कुछ सालों के भीतर म्यूजियोलॉजी में एंथ्रोपोलॉजी, आर्म्स एंड आर्मर, न्यूमिसमेटिक्स, इपिग्राफी, ज्वैलरी आदि विषयों को भी जोड़ा गया है। भारत में इस समय एक हजार से भी ज्यादा म्यूजियम मौजूद हैं। इन म्यूजियम में अकसर ही योग्य लोगों की जरूरत बनी रहती हैं। केंद्र सरकार के म्यूजियम से लेकर राज्य सरकारों के म्यूजियम में रोजगार की कोई कमी नहीं है। इसके अलावा ट्रस्ट के म्यूजियम व प्राइवेट सेक्टर के म्यूजियम में भी अकसर रोजगार बना रहता है। किसी भी संस्कृति के इतिहास व उससे जुड़ी सूचना पाने का विश्वसनीय तरीका म्यूजियम ही है। इसलिए इसकी देखरेख के लिए उन्हीं लोगों को नियुक्त किया जाता है जो न सिर्फ ज्ञान व जानकारियों से भरे हों बल्कि जिन्हें म्यूजियम के महत्व का भी अच्छा ज्ञान हो।
कई किस्म के कैरियर हैं उपलब्ध
म्यूजियम के काम में कई किस्म के कैरियर उपलब्ध हैं। इसमें म्यूजियम डायरेक्टर, क्यूरेटर, एजुकेटर, एग्जिबिट डिजाइनर, आर्चीविस्ट और कंजरवेशन स्पेशलिस्ट आदि मुख्य हैं। म्यूजियोलॉजिस्ट सामान्य तौरपर भारत सरकार के लिए ही काम करते हैं। इनकी आय भी सरकारी कर्मचारियों की तरह काफी अच्छी होती है। इसके अलावा इन्हें कई अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं। इस क्षेत्र में कैरियर बनाना किसी के लिए भी फायदेमंद हो सकता है।
योग्यताएं
म्युजियोलॉजी के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए न्यूनतम योग्यता विज्ञान, इतिहास, फाइन आर्ट, आर्कियोलॉजी जैसे विषयों में स्नातक या परास्नातक होना है। एमए और पीएचडी कोर्स में प्रवेश के लिए स्नातक स्तर पर कम से कम 55 प्रतिशत अंक होने चाहिए। किसी भी एक संस्कृति या विदेशी भाषा का ज्ञान होना चाहिए। इसमें संस्कृत, फारसी, अरबी, ग्रीक, लैटिन, जर्मन, फ्रेंच, इटैलियन आदि मुख्य हैं। मास्टर डिग्री प्रोग्राम में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा और इंटरव्यू से होकर गुजरना होता है। म्यूजियम ऑपरेशन के तहत कई कोर्स उपलब्ध हैं जिसमें हिस्ट्री ऑफ म्यूजियम, कलेक्शन मैनेजमेंट, डॉक्यूमेंटेशन, प्रजेंटेशन एंड इंटरप्रिटेशन, म्यूजियम आर्किटेक्चर, हिस्ट्री एंड आर्कियोलॉजी ऑफ इंडिया, प्रिजर्वेशन ऑफ नेचुरल हिस्ट्री स्पेशीमेंस, कंजर्वेशन ऑफ कल्चरल प्रॉपर्टी आदि प्रमुख हैं।
प्रमुख शिक्षा संस्थान
म्युजियोलॉजी एवं संबंधित विषयों की शिक्षा प्राप्ति के लिए देश के कई संस्थानों में कोर्स उपलब्ध हैं जिनमें प्रमुख हैं : जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर, मध्यप्रदेश, महाराजा सयाजीराव राव यूनिवर्सिटी बडौदा, गुजरात, नेशनल म्यूजियम इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली, यूनिवर्सिटी ऑफ कोलकाता, पश्चिम बंगाल, यूनियन क्रिश्चियन कॉलेज अल्यूवा, केरल, सेंट थॉमस कॉलेज पलाई, केरल, अजम्प्शन कॉलेज चंगनसेवी, केरल, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश। -इ.रि.सें.