पक्षियों पर भी कहर बरपाती बारिश
वास्तव में अति बारिश जैसी आजकल हो रही है, न केवल पक्षियों के घोसलों को गीला और असुविधाजनक बना देती है, बल्कि उनके लिए भोजन ढूंढ़ना या खुद को गर्म रखना भी मुश्किल कर देती है। लंबे समय तक बारिश के कारण पक्षी हाइपोथर्मिया या भूख से मर जाते हैं।
के.पी. सिंह
इन दिनों बारिश शुरू होते ही, चाहे वह कितनी ही मूसलाधार और जानलेवा ही क्यों न हो, सोशल मीडिया में कई रोमांच वीर तरह-तरह की भाव-भंगिमाओं वाली सेल्फी शेयर करने लगते हैं। लेकिन जब हम पक्षियों से जंगल और उनके घर यानी पेड़ छीनकर कंक्रीट के बसेरे में बारिश का लुत्फ़ ले रहे होते हैं, ठीक उन्हीं पलों में लाखों पक्षी बारिश से बेबस होकर जान दे रहे होते हैं। जी, हां यह कोई काल्पनिक रूदन नहीं है, सैकड़ों वाइल्डलाइफ फोटोग्राफरों का भावुक कर देने वाला अनुभव है। वास्तव में अति बारिश जैसी आजकल हो रही है, न केवल पक्षियों के घोसलों को गीला और असुविधाजनक बना देती है, बल्कि उनके लिए भोजन ढूंढ़ना या खुद को गर्म रखना भी मुश्किल कर देती है। लंबे समय तक बारिश के कारण पक्षी हाइपोथर्मिया या भूख से मर जाते हैं। हां, जब उनके घने जंगल थे, जंगलों में पत्तों से भरे पेड़ थे, तब उनके लिए भी बारिश पिकनिक होती थी। लेकिन अब हर गुजरते साल उनके लिए बारिश एक जानलेवा बुरा अनुभव बनती जा रही है।
पक्षियों के लिए जानलेवा अति बारिश में उनके जलरोधी पंख वास्तव में शिथिल हो जाते हैं और उनका सिर भीग जाता है। इससे उन्हें ठंड लग जाती है और वे मर जाते हैं। छोटे पक्षी अक्सर भारी बारिश में आश्रय खोजने की कोशिश में परेशान देखे जाते हैं। दरअसल, पक्षी अपने पंखों के नीचे हवा की छोटी-छोटी परतें बनाकर रखते हैं, जो उन्हें गर्म रखती हैं। लेकिन जब बारिश अति में हो रही हो तो वे हार जाते हैं। इस स्थिति में बारिश के संपर्क में आने वाले अमेरिकी केस्ट्रेल अपनी चयापचय दर को बढ़ाते हैं, संभवतः गर्मी के नुकसान की भरपाई के लिए। लेकिन देखा गया है कि पक्षी जितना छोटा होता है, अति बारिश उसके लिए उतनी ही डरावनी होती है। क्योंकि छोटे पक्षियों का सतह-क्षेत्र-से-आयतन अनुपात अधिक होता है, जिसका अर्थ है कि वे अधिक तेज़ी से गर्मी खो देते हैं, और उनके पास आम तौर पर कम ऊर्जा भंडार होते हैं। यही कारण है कि अक्सर मूसलाधार बारिश के दौरान देखने में आता है कि छोटे पक्षी बदहवासी से आश्रय की तलाश में होते हैं जबकि टर्की गिद्धों का झुंड पेड़ की चोटी पर पंख फैलाकर बारिश में नहाता हुआ देखा जाता है।
वहीं जिन पक्षियों को यह सुविधा होती है, वे बारिश के समय झाड़ियों के झुरमुटों में, नरकटों में, इंसानी घरों के छज्जों के नीचे, अपने घोसले के छिद्रों में छिपने या बचने की कोशिश करते हैं। लेकिन यह पक्षियों को अनिवार्य रूप से हासिल कोई सुनिश्चित सुविधा नहीं है और हो भी तो आखिर पक्षियों को नियमित खाने की भी तो ज़रूरत होती है। सच में भूख पक्षियों के लिए बारिश का दूसरा खतरा है। आप कुछ मिनटों या घंटों की बारिश में तो छिप सकते हैं, लेकिन एक हफ्ते तक चलने वाली बारिश में क्या करेंगे?
दरअसल, जब बारिश शुरू होती है तब तो पक्षी कुछ समय के लिए गायब हो जाते हैं, लेकिन अगर यह कुछ समय तक लगातार होती है, तो पक्षी फिर से दिखाई देने लगते हैं। क्योंकि वे भोजन की तलाश बंद नहीं कर सकते हैं, खासकर अगर उनके पास खिलाने के लिए चूजे हों। दरअसल, पक्षी बहुत कम खाते हैं, इसलिए उन्हें बार-बार खाना पड़ता है। दरअसल, बारिश की तीव्रता भी फर्क डालती है। उनके लिए भारी बारिश बहुत खतरनाक होती है। इससे निपटने के लिए उन्हें अलग से रणनीति बनानी पड़ती है। कई बार हम देखते हैं भीग रहे पक्षी अपने पंख फुला लेते हैं, क्योंकि पंखों को फुलाना उन्हें गर्म रखता है। लेकिन यह खतरनाक भी है। अगर बारिश बहुत भारी है, या यह नहीं थमती तो पानी उनके फूले हुए पंखों के अंदर में चला जाता है।
भारी बारिश में कई बार पक्षियों की एक और क्लासिक मुद्रा देखने को मिलती है। जिससे सिर पीछे की ओर, चोंच बारिश की ओर, शरीर सीधा और पंख चिकने। यह एक ऐसी मुद्रा है जिसमें कोई पक्षी खुद को गर्म रखने की कोशिश करता है। क्योंकि सिर पीछे की ओर की मुद्रा एक गर्मी-संरक्षण की स्थिति है। इसका मकसद पक्षी को बारिश के संपर्क में कम से कम आना है और बारिश की बूंदें शरीर में अवशोषित होने की बजाय पंखों से नीचे फिसल जाती हैं। पक्षी इस मुद्रा को तब अपनाते हैं, जब उनके पास आश्रय की सुविधा न हो। लेकिन यह स्थिति तब बड़ा जोखिम बन जाती है,जब कई कई घंटे बारिश थमती ही नहीं।
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