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मां का दूध बढ़ाए शिशु की इम्यूनिटी

07:30 AM Aug 06, 2024 IST
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मां का दूध नवजात शिशु के लिए सबसे पौष्टिक और सुरक्षा प्रदान करने वाला आहार माना जाता है। शारीरिक-मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है वहीं इम्यूनिटी मजबूत करता है। स्तनपान करवाना मां की सेहत को भी फायदेमंद है। स्तनपान सप्ताह का मकसद ब्रेस्टफीडिंग के प्रति जागरूकता बढ़ाना व इसे प्रथम आहार के रूप में स्थापित करना है।

श्वेता गोयल
मां का दूध शिशुओं के लिए आदर्श भोजन माना जाता है। स्त्री रोग विशेषज्ञों के मुताबिक, यह दूध सुरक्षित है, स्वच्छ है और इसमें एंटीबॉडीज होते हैं, जो बचपन में होने वाली कई आम बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। यह दूध शिशु को जीवन के पहले महीनों के लिए आवश्यक सभी ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करता है और यह पहले वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान बच्चे की पोषण संबंधी ज़रूरतों का आधा या उससे ज्यादा हिस्सा और जीवन के दूसरे वर्ष के दौरान एक तिहाई तक पूरा करता है।
नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य और कल्याण तथा मातृ स्वास्थ्य को होने वाले बड़े लाभों पर प्रकाश डालने, अच्छे पोषण, गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से हर साल अगस्त महीने के पहले सात दिनों तक ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ मनाया जाता है। यह सप्ताह विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ द्वारा शुरू किया गया था और इसका पहला आयोजन 1992 में हुआ। इस वर्ष यह ‘अंतर को कम करना : सभी के लिए स्तनपान समर्थन’ थीम के साथ मनाया जा रहा है। इसके बारे में डब्ल्यूएचओ का कहना है कि यह अभियान स्तनपान के सफर के दौरान स्तनपान कराने वाली माताओं की संपूर्ण विविधता का जश्न मनाएगा, साथ ही दिखाएगा कि किस प्रकार परिवार, समाज, समुदाय और स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्रत्येक ऐसी मां का साथ दे सकते हैं।
विभिन्न देशों में मातृत्व सुरक्षा की स्थिति
डब्ल्यूएचओ के अनुसार स्तनपान बच्चे के स्वास्थ्य और जीवन को सुनिश्चित करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है लेकिन उसकी सिफारिशों के विपरीत दुनियाभर में 6 महीने से कम उम्र के आधे से भी कम शिशुओं को केवल स्तनपान कराया जाता है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि विश्वभर में 50 करोड़ से भी ज्यादा कामकाजी महिलाओं को राष्ट्रीय कानूनों में आवश्यक मातृत्व सुरक्षा नहीं दी जाती। केवल 20 प्रतिशत देशों में ही नियोक्ता द्वारा महिला कर्मचारियों को शिशु देखभाल के लिए सवेतन अवकाश और सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
सबके स्वास्थ्य की दिशा में कदम
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक विश्व स्तनपान सप्ताह का उद्देश्य केवल जागरूकता बढ़ाना ही नहीं है बल्कि भविष्य में भी स्तनपान को एक सामान्य और मां के पहले आहार के रूप में स्थापित करना है। इसके तहत स्वास्थ्य नीतियों को बेहतर बनाने, स्तनपान संबंधी मुद्दों को प्राथमिकता देने और माताओं के लिए सहमति को मजबूत करने की दिशा में काम किया जाता है। इस सप्ताह का महत्व न केवल माताओं और शिशुओं के स्वास्थ्य को लेकर है बल्कि यह एक वैश्विक आंदोलन भी है, जो स्वस्थ जीवन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
शिशु के विकास में अहम भूमिका
स्तनपान नवजात शिशुओं के लिए सबसे पौष्टिक और सुरक्षा प्रदान करने वाला आहार है, जो मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। दरअसल इसमें आवश्यक पोषक तत्व, एंटीबॉडीज और हार्मोन होते हैं, जो शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करते हैं। स्तनपान मां और बच्चे के बीच एक विशेष तरह का रिश्ता कायम करता है। डॉक्टरों की मानें तो मां का दूध बच्चे के मानसिक और भावनात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्तनपान करने वाले बच्चे बुद्धि परीक्षणों में बेहतर प्रदर्शन करते हैं, मोटापे व मधुमेह की संभावना कम होती है। पाचन को भी बढ़ावा मिलता है, जिससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं कम हो सकती हैं।
प्राकृतिक रूप से रोगाणु रहित
डब्ल्यूएचओ महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस और यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल का कहना है कि पिछले 12 वर्षों में दुनियाभर में छह महीने से कम उम्र के शिशुओं की संख्या में 10 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है, जिन्हें केवल स्तनपान कराया जाता है। दुनियाभर में 48 प्रतिशत शिशुओं को अब जीवन में इस स्वस्थ शुरुआत का लाभ मिलता है और इससे लाखों शिशुओं की जान बच रही है। मां का दूध एक शिशु के लिए अमृत के समान होता है क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से रोगाणु रहित होता है, शिशु को कई संक्रमणों से बचाता है। मां का दूध आईजीए और लैक्टोफेरिन के अच्छे भंडार के रूप में कार्य करता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार मां का कोलेस्ट्रम युक्त पीला गाढ़ा दूध यानी डिलीवरी के बाद आने वाला पहला दूध नवजात के लिए संपूर्ण आहार होता है।शिशु को स्तनपान कराने से मां को भी विभिन्न स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं, जिनमें डिलीवरी के बाद जल्दी स्वस्थ होना, वजन कम होना और स्तन कैंसर के खतरे में कमी होना इत्यादि प्रमुख रूप से शामिल हैं। मां अपने शिशु को जितना अधिक समय स्तनपान कराती है, लाभ भी उतने ही ज्यादा होते हैं।

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