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कश्मीर को लेकर यूएन ने की थी चूक

05:00 AM Mar 19, 2025 IST
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नयी दिल्ली, 18 मार्च (एजेंसी)
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को एक ‘मजबूत और निष्पक्ष’ संयुक्त राष्ट्र का आह्वान किया और आठ दशकों के इसके कामकाज की जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि वैश्विक संस्था ने 1947 में पाकिस्तान द्वारा कश्मीर पर किए गये आक्रमण को विवाद में बदलने की चूक की। यहां रायसीना डायलॉग सम्मेलन के एक सत्र में जयशंकर ने संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से संबंधित मुद्दों पर वैश्विक नियमों को चुनींदा तरीके से लागू किये जाने का उल्लेख किया।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, किसी अन्य देश द्वारा किसी क्षेत्र पर सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जा भारत से संबंधित है- कश्मीर में। हम संयुक्त राष्ट्र गये। जो आक्रमण था, उसे विवाद में बदल दिया गया। हमलावर और पीड़ित को बराबर रखा गया।’
कुछ मुद्दों से निपटने में हुए ऐतिहासिक अन्याय को लेकर चिंता जताते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि वैश्विक नियम-कायदे समान रूप से लागू किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमें एक मजबूत संयुक्त राष्ट्र की जरूरत है, लेकिन एक मजबूत संयुक्त राष्ट्र के लिए एक निष्पक्ष संयुक्त राष्ट्र की आवश्यकता है। एक मजबूत वैश्विक व्यवस्था में मानकों में कुछ बुनियादी स्थिरता होनी चाहिए।’

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‘अमेरिका फर्स्ट’ का मतलब केवल अमेरिका नहीं : तुलसी गबार्ड

अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने ‘रायसीना डायलॉग’ के एक सत्र में अपने संबोधन में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका प्रथम’ की नीति को केवल अमेरिका के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘भारत प्रथम’ की प्रतिबद्धता जैसी ही है। उन्होंने कहा कि ट्रंप के बारे में यह गलत धारणा नहीं बननी चाहिए कि वह ऐसे राष्ट्रपति हैं जो अन्य देशों के साथ संबंधों का महत्व नहीं समझते। अमेरिकी राष्ट्रपति साझा हितों की दिशा में काम करने में विश्वास रखते हैं। गबार्ड ने कहा, ट्रंप प्रशासन हिंद-प्रशांत क्षेत्र समेत विभिन्न क्षेत्रों में अनेक चुनौतियों का सामना करने के लिए नयी दिल्ली के साथ सुरक्षा समेत विभिन्न पहलुओं पर संबंध प्रगाढ़ करने की दिशा में काम कर रहा है। गबार्ड ने अपना संबोधन ‘नमस्ते और जय श्री कृष्ण’ के साथ शुरू किया। उन्होंने कहा कि ये शब्द हमारे सभी के हृदयों में मौजूद आंतरिक दैवीय भावना को झलकाते हैं और याद दिलाते हैं कि हम सभी जाति और धर्म से परे आपस में जुड़े हैं। गबार्ड ने भारत-अमेरिका संबंधों के भविष्य को लेकर आशावादी दृष्टिकोण रखा और कहा कि विविध क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने का बड़ा अवसर है।

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