मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

सुनीता जमीं पर और भारत आसमां...

05:00 AM Mar 20, 2025 IST
featuredImage featuredImage
थम्स अप करतीं सुनीता विलियम्स
फ्लोरिडा पैनहैंडल के तेलाहासे जलक्षेत्र में उतरा अंतरिक्ष यान) -प्रेट्र/एएनआई

केप केनवेरल, 19 मार्च (एजेंसी)
नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने धरती पर पैर क्या रखा कि विश्व तो छोड़ो भारत सातवें आसमां पर पहुंच गया। भारतीय मूल की इस बेटी की सकुशल वापसी पर बुधवार को देशभर में जश्न मनाया गया। गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित सुनीता विलियम्स के पैतृक गांव झूलासण में उत्सव का माहौल रहा। उनके रिश्तेदार नवीन पांड्या ने कहा कि गांव के लोगों ने सुनीता की सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना की और अखंड ज्योति जलाई।
हरियाणा के करनाल स्थित टैगोर बाल निकेतन में अध्यापकों-विद्यार्थियों में विशेष्ा खुशी इसलिए थी क्योंिक इसी स्कूल ने दुनिया को कल्पना चावला के रूप में एक प्रतिभाशाली अंतरिक्ष यात्री दिया, जो अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला थीं। गौर हो कि नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर नौ महीने अंतरिक्ष में रहने के बाद भारतीय समयानुसार बुधवार तड़के पृथ्वी पर लौट आए। ‘स्पेसएक्स’ यान को फ्लोरिडा पैनहैंडल के तेलाहासे जलक्षेत्र में उतारा गया। बाद में उन्हें चिकित्सा जांच के लिए स्ट्रेचर पर ले जाया गया।
दोनों अंतरिक्ष यात्री 5 जून, 2024 को बोइंग के नए स्टारलाइनर क्रू यान में सवार होकर अंतरिक्ष में गए थे। अंतरिक्ष स्टेशन के रास्ते में इतनी सारी समस्याएं आईं कि नासा को अंततः स्टारलाइनर को खाली वापस धरती पर लाना पड़ा। सुनीता और विल्मोर ने अंतरिक्ष में 286 दिन बिताए। उन्होंने पृथ्वी की 4,576 बार परिक्रमा की और ‘स्पलैशडाउन’ (यान के उतरने) के समय तक 12 करोड़ 10 लाख मील की यात्रा की। गौर हो कि सुनीता ने नौ बार अंतरिक्ष में चहलकदमी का रिकॉर्ड बनाया। इसमें उन्हें 62 घंटे लगे। अंतरिक्ष स्टेशन में फंसे रहने के दौरान भी विल्मोर और विलियम्स ने बीच-बीच में लोगों को संदेश भेजे और वहां फंसे रहने का दोष किसी पर नहीं मढ़ा। नौसेना के दोनों सेवानिवृत्त कप्तानों- सुनीता और विल्मोर ने जोर देकर कहा कि उन्हें अंतरिक्ष में अधिक समय बिताने में कोई आपत्ति नहीं है। अमेरिकी नौसेना की पूर्व कप्तान सुनीता विलियम्स (59) का जन्म 19 सितंबर, 1965 को यूक्लिड, ओहियो में हुआ था और उनके पिता दीपक पांड्या गुजरात के मेहसाणा जिले के झूलासण से थे, जबकि मां उर्सुलाइन बोनी पांड्या स्लोवेनिया से हैं।

Advertisement

गणेश की मूर्ति और समोसे ले जा चुकी हैं अंतरिक्ष में

अपनी बहु-सांस्कृतिक जड़ों पर गर्व करते हुए विलियम्स अपने साथ अंतरिक्ष में अपनी विरासत के प्रतीक ले जा चुकी हैं, जिनमें समोसे, स्लोवेनियाई ध्वज और भगवान गणेश की मूर्ति शामिल हैं। सुनीता को बचपन से ही विज्ञान में रुचि थी, लेकिन उनका सपना पशु चिकित्सक बनना था। उनके भाई जय का अमेरिकी नौसेना अकादमी में चयन हुआ था और वहां जाने के बाद सुनीता ने नौसेना अधिकारी बनने का सपना देखा। यह वह समय था जब मशहूर अभिनेता टॉम क्रूज अभिनीत ‘टॉप गन’ धूम मचा रही थी। सुनीता को 1998 में नासा ने अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना। उन्होंने रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के साथ भी काम किया। उनके पति माइकल जे. विलियम्स संघीय पुलिस अधिकारी हैं।

साहस और दृढ़ता की तमाम हस्तियों ने की सराहना

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इसरो प्रमुख वी. नारायणन समेत अनेक हस्तियों ने दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की सकुशल वापसी पर खुशी व्यक्त की है। राष्ट्रपति मुर्मू ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘मैं उनके अटूट संकल्प को सलाम करती हूं।’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘... विशाल अज्ञात के सामने उनका अडिग दृढ़ संकल्प हमेशा लाखों लोगों को प्रेरित करेगा।’ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उनकी सफलता प्रेरणा और मानवीय उपलब्धियों का प्रमाण है। इसरो अध्यक्ष ने कहा, ‘... हम अंतरिक्ष अभियान में आपकी विशेषज्ञता का उपयोग करने की इच्छा रखते हैं।’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुनीता को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की।

Advertisement

गगनयान की तैयारी पूरी, इसी साल जाएगी ‘व्योममित्र’

नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि गगनयान को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी लगभग हो चुकी है। इस वर्ष के अंत में महिला रोबोट ‘व्योममित्र’ अंतरिक्ष में जाएगी। लोकसभा में उन्होंने यह भी कहा कि गगनयान के लिए चुने गए चार अंतरिक्ष यात्रियों को चमक-दमक से दूर रखा गया।

Advertisement