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विदेशी भाषाएं सीखकर रोजगार के ढेरों मौके

10:33 AM Jul 05, 2023 IST

डॉ. पंकज मालवीय

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प्रौद्योगिकी के युग में, संचार के तेजी से विकसित हो रहे साधनों की बदौलत विभिन्न देशों के निवासी और भिन्न-भिन्न भाषाएं बोलने वाले लोग एक-दूसरे के करीब आकर अपने अनुभवों, उपलब्धियों को साझा करना चाहते हैं। इसी कारण विदेशी भाषाएं सीखने का महत्व बढ़ जाता है। उपभोक्ता वस्तुओं की लगातार बढ़ती मांग विभिन्न आर्थिक गतिविधियों को जन्म देती है जिससे हमारे देशों के बीच घनिष्ठ संबंध स्थापित होने का मार्ग प्रशस्त होता हैं। वहीं देशों के बीच राजनीतिक-राजनयिक, आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक संबंध स्थापित करने के लिए विदेशी भाषाओं का ज्ञान प्रभावी उपकरण बन जाता है। हमारे दैनिक जीवन में उपयोगी अधिकतर वस्तुएं -कंप्यूटर हार्डवेयर, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, निर्माण सामग्री, इलेक्ट्रिकल आदि गैर-अंग्रेजी भाषी देशों द्वारा निर्मित होती हैं। हमें इन वस्तुओं व अत्याधुनिक तकनीक के लिए गैर-अंग्रेजी भाषी देशों से सरोकार बनाना पड़ता है, जो उनकी संबंधित भाषाओं में उपलब्ध है। ऐसे में गैर-अंग्रेजी भाषी देशों में सामान्य दैनिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए वहां की स्थानीय भाषा जानना आवश्यक है। दरअसल विदेशी भाषा जानने से आप अपने पेशेवर प्रतिस्पर्धी की अपेक्षा अधिक ग्राह्य होते हैं। उस देश के व्यावसायिक लोगों से बेझिझक बातचीत कर सकते हैं।
जापानी, कोरियाई और मंदारिन
आजकल, भारत में, तीन पूर्वी एशियाई भाषाएं : जापानी, कोरियाई और मंदारिन सीखने की सबसे अधिक मांग हैं। इन तीन भाषाओं का भारत में बेहद उज्ज्वल भविष्य है। जापान, कोरिया और चीन कंप्यूटर हार्डवेयर, ऑटोमोबाइल, उपभोक्ता ऑप्टो-इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल गैजेट, जहाज निर्माण, नागरिक बुनियादी ढांचे, परिवहन, बीपीओ और केपीओ आदि के क्षेत्र में अग्रणी निर्माता हैं। इन भाषाओं को सीखने से इन देशों की उन्नत तकनीक सुलभ हो जाती है। जबकि भारत में अनुवादक और दुभाषिया बनने के लिए जापानी भाषा सबसे अच्छा विकल्प है। जापानी दूतावास के अनुसार भारत में लगभग 1439 जापानी कंपनियां पंजीकृत हैं। जापान भारत में पांचवां सबसे बड़ा निवेशक है। इसके अलावा भारत और दक्षिण कोरिया 2030 तक 50 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार को हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। 2019 में, अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में भारत-कोरिया स्टार्टअप हब की स्थापना की गई। सड़क और परिवहन अवसंरचना विकास में कई समझौते हुए हैं। वहीं भारत 2025 तक 220 बिलियन डॉलर के चीनी निवेश की उम्मीद कर रहा है। भारत में जापानी, कोरियाई और मंदारिन सीखने से शिक्षक, अनुवादक, दुभाषिया, पर्यटक गाइड, मल्टीमीडिया विशेषज्ञ बनने और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करने का अवसर मिलता है।
फ्रेंच और जर्मन
भारत में आधुनिक यूरोपीय भाषाओं में फ्रेंच, जर्मन, रूसी और स्पेनिश सबसे लोकप्रिय भाषाएं हैं। दुनिया भर में लगभग 53 देशों में 300 मिलियन से अधिक लोग फ्रेंच बोलते हैं। फ्रांसीसी जानने वाले पेशेवर होटल मैनेजमेंट,पर्यटन, बहुराष्ट्रीय कंपनियों, बीपीओ, केपीओ, लक्जरी उत्पादों, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, निर्यात-आयात फर्मों, बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र, शैक्षणिक संस्थानों और विमानन उद्योगों में अपने लिए जगह बना सकते हैं। फ्रांस में 3500 प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थान हैं। वहीं जर्मन यूरोप में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। दुनिया में अनुमानित 200 मिलियन लोग जर्मन बोलते हैं। जर्मनी ने भारत में परिवहन, बीमा क्षेत्र, रसायन, निर्माण, धातुकर्म उद्योग, ऑप्टो-इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल आदि क्षेत्र में लगभग 14 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। भारत और जर्मनी के बीच 1,600 से अधिक समझौतों और 600 संयुक्त परियोजनाओं पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
रूसी और स्पेनिश
रूसी दुनिया में छठी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। पूर्वी यूरोपीय देश, बाल्टिक देश, आठ मध्य एशियाई देश, मंगोलिया और चीन के उत्तरी भाग में 265 मिलियन लोग रूसी बोलते हैं। रूसी भाषा इतिहास, धर्मशास्त्र, भाषा, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में तुलनात्मक शोध के लिए मंच प्रदान करती है। वहीं रूस में उच्च शिक्षा प्राप्त करना बहुत महंगा नहीं है। रक्षा, अंतरिक्ष, ऊर्जा, भारी उद्योग, इस्पात संयंत्र, पेट्रोलियम, आतिथ्य उद्योग, फार्मास्युटिकल उद्योग, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में रूसी तकनीक का व्यापक उपयोग हो रहा है। रूस और भारत के बीच व्यापार अब विशेष रूप से रक्षा, दूरसंचार, तेल-गैस और चिकित्सा/सर्जिकल उपकरणों और औद्योगिक सेवाओं में 30 बिलियन डालर का है। वहीं स्पैनिश भाषा भारत में सबसे अधिक सीखने वाली भाषाओं में से एक है क्योंकि यह स्पेन, अर्जेंटीना, बोलीविया, मैक्सिको, निकारागुआ, कोलंबिया, ग्वाटेमाला, पनामा आदि 22 देशों में बोली जाती है। स्पैनिश सीखना अधिकतम रोजगार का अवसर प्रदान करता है। स्पैनिश भाषा पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद व्यक्ति के पास शिक्षक, अनुवादक और दुभाषिए (भारत आने वाले अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक स्पेनिश हैं) आदि के रूप में नौकरी के कई विकल्प हैं। करीब 200 स्पैनिश कंपनियां भारत में कार्यरत हैं। नई भाषा सीखने से व्यक्ति के समक्ष ज्ञान की एक नई खिड़की खुलती है जिससे वह अधिक ज्ञानवान, सक्षम और वैश्विक पेशेवर बन जाता है।

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