उपवास में हल्का-सुपाच्य आहार
डॉ. मधुसूदन शर्मा
भारतीय संस्कृति में उपवास की परंपरा प्राचीन काल से ही है। भगवत गीता में वर्णित है-‘विषया विनिवर्तन्ते निराहारस्य देहिनः। अर्थात उपवास से मन के विषय विकारों की निवृत्ति होती है जो आध्यात्मिक प्रगति के लिए आवश्यक है। इसीलिए हिंदू संस्कृति में प्रत्येक शुभ कार्य के साथ उपवास रखने की परंपरा हैं। वराहोपनिषद में उपवास को ऐसे परिभाषित किया है-‘उप समीपे यो वासो जीवात्मपरमात्मयोः। उपवासः स विज्ञेयो न तु कायस्य शोषणम्।।’ अर्थात जीवात्मा का परमात्मा के निकट होना, सात्विक गुणों का आचरण करते हुए ईश्वरोपासना करने का नाम उपवास है, शरीर को सुखा डालने का नाम नहीं।
अन्न के बजाय फल : भक्तगण नवरात्रि के पवित्र दिनों में उपवास रखते हैं। मान्यता है कि उपवास से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। उपवास के दौरान भोजन को लेकर कुछ सामान्य नियम है कि इन दिनों में केवल फलाहार लिया जा सकता है। अन्न का निषेध है यानी चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा,जौ, मक्का व चना, मूंग,मसूर, अरहर, उड़द, राजमा,सोयाबीन आदि दालें वर्जित हैं। नवरात्रि के दिनों में फलों के सेवन से न केवल भूख शांत होती है साथ ही शरीर ऊर्जावान बना रहता है। ऐसे में विटामिन और खनिज पदार्थों से भरपूर केला,खजूर संतरा,सेब, अनार,अंगूर,पपीता,अमरूद, अनानास आदि फल लिए जा सकते हैं। हालांकि फल भी थोड़ी मात्रा में ही लें, जिससे वह आसानी से पच सकें। सब्जियों में लौकी, तुरई, टमाटर, खीरा लिया जा सकता है। सूखे मेवे में काजू, बादाम, किशमिश, अंजीर का प्रयोग किया जा सकता है। मूंगफली भी अच्छा विकल्प है। उपवास के दौरान दूध का उपयोग सर्वोत्तम माना गया है।
गरिष्ठ भोजन की मनाही : कुट्टू और सिंघाड़े के आटे से बने व्यंजन भी फलाहार के रूप में प्रयोग किये जाते हैं। बहुत से लोग इनके आटे की पकोड़ी, पूरी, परांठे, बना कर खाते हैं परन्तु यह गरिष्ठ भोजन होता है। इनको लेने से बचना चाहिए और रात को तो बिल्कुल न खाएं। आलू का उपयोग भी सीमित मात्रा में हो। उपवास में साबूदाना की खिचड़ी, सामक के चावल भी एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं, लेकिन कम मात्रा में। उपवास के भोजन में सेंधा नमक इस्तेमाल किया जाता है। पूरे उपवास काल में खूब पानी पीना चाहिए। उपवास के दिन शारीरिक श्रम से बचना चाहिए। वृद्ध, बीमार, गर्भवती महिलाओं व छोटे बच्चों को उपवास नहीं रखना चाहिए।
जब व्रत तोड़ें : उपवास खोलते समय तुरंत भरपेट भोजन हानिकारक है। उपवास समापन नींबू पानी या फलों के रस जैसे संतरे, मौसमी से करें। उसके बाद भोजन लेने की शुरुआत हल्के सुपाच्य आहार जैसे खिचड़ी, दलिया, मूंग की दाल का पानी लेकर करें।