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04:00 AM Mar 24, 2025 IST

जन संसद की राय है कि बच्चों में मोबाइल की लत शुरू करने में अभिभावकों की पहली भूमिका होती है। यदि वे मोबाइल का संयमित उपयोग करेंगे तो बच्चों को मोबाइल की लत से बचाया जा सकेगा।

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दुरुपयोग से संकट
आज के टेक्नोलॉजी युग में मोबाइल हर व्यक्ति की आवश्यकता बन चुका है, लेकिन इसका दुरुपयोग बढ़ता जा रहा है। बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक मोबाइल की लत लग गई है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं जैसे आंखों की समस्या, गर्दन का झुकना और श्रवण शक्ति का ह्रास हो रहा है। बच्चों की स्मरण शक्ति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। अभिभावकों, अध्यापकों और संस्थाओं को बच्चों को इस नशे से बचाने के लिए जागरूक करना होगा। उन्हें पुस्तकें पढ़ने की महत्ता और मोबाइल के दुष्प्रभावों से अवगत कराना जरूरी है, ताकि समाज और देश का भविष्य सुरक्षित रहे।
सोहनलाल गौड़, बाहमनीवाला, कैथल

मां-बाप करें पहल
वर्तमान में मोबाइल बच्चों के लिए मनोरंजन का साधन बन गया है, लेकिन इसका अत्यधिक प्रयोग स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर रहा है। बच्चों का मोबाइल से पहला परिचय उनके परिवार से होता है। माता-पिता यदि बच्चों के सामने मोबाइल का उपयोग न करें और पुस्तकों को प्राथमिकता दें, तो बच्चों में भी वही आदतें विकसित होंगी। बच्चों को समझाने के लिए केवल शब्दों की बजाय आचरण अधिक प्रभावी होता है। इसलिए माता-पिता को अपने व्यवहार में बदलाव लाना होगा, ताकि बच्चे मोबाइल के दुरुपयोग से बच सकें।
अनूप कुमार गक्खड़, हरिद्वार
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बच्चों को जागरूक करें
मोबाइल फोन आजकल बच्चों की भी आवश्यकता बन गया है, विशेषकर स्कूलों में इंटरनेट आधारित प्रोजेक्ट्स के कारण। लेकिन बच्चों का अधिक समय मोबाइल पर बिताना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। अभिभावकों और शिक्षकों को इसके खतरों के प्रति जागरूक करना चाहिए और बच्चों के स्क्रीन टाइम की सीमा तय करनी चाहिए। इसके साथ ही बच्चों को खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित करना और उनके मोबाइल प्रयोग की निगरानी रखना आवश्यक है। इस प्रकार, बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है।
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली

स्वयं रोल मॉडल बनें
वैश्विक महामारी के दौरान बच्चों के हाथों में मोबाइल देना आवश्यक हो गया था, लेकिन अब यह एक बुराई का रूप ले चुका है। घंटों मोबाइल पर समय बिताने से बच्चे अपने स्वास्थ्य और कीमती समय को नष्ट कर रहे हैं। इस समस्या का समाधान शिक्षक और अभिभावकों को मिलकर जागरूकता अभियान चलाकर करना होगा, लेकिन पहले उन्हें खुद रोल मॉडल बनकर दिखाना होगा। यदि वे मोबाइल का सीमित प्रयोग करेंगे, तो इसका बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। बच्चों को रचनात्मक कार्यों में व्यस्त रखकर उनकी पहचान बनाने का अवसर देना चाहिए।
कृष्णलता यादव, गुरुग्राम

खेलों से जोड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मोबाइल फोन और ईयरफोन के बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव की पुष्टि की है, खासकर उनकी श्रवणशक्ति पर। सर्वे के अनुसार, 1.40 अरब लोग अत्यधिक स्क्रीन टाइम और तेज़ ध्वनि के कारण प्रभावित हो रहे हैं। बच्चों को लंबे समय तक मोबाइल और लैपटॉप पर तेज़ आवाज़ में गेम्स और कार्यक्रम सुनने से बचाना चाहिए। मोबाइल आज एक आवश्यक बुराई बन चुका है, जिससे बच्चों की आदतें बिगड़ रही हैं। इसके लिए शिक्षकों, अभिभावकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जागरूकता अभियान चलाना चाहिए और बच्चों को रचनात्मक तरीकों से आउटडोर और इंडोर खेलों में रुचि दिलानी चाहिए।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़, रेवाड़ी

पुरस्कृत पत्र

ध्यान दें अभिभावक
खाना खाते समय बच्चों को मोबाइल देने से बचना चाहिए। यदि इंटरनेट पर ज्ञानवर्धक सामग्री देखनी हो, तो बच्चों के साथ बैठकर देखें और स्मार्ट टीवी का उपयोग करें, ताकि स्क्रीन और आंखों के बीच उचित दूरी बनी रहे। बच्चों को मोबाइल गेम्स से दूर रखें और उनकी गतिविधियों पर माता-पिता का ध्यान हो। अभिभावकों को बच्चों को सामाजिक गतिविधियों में शामिल करने, साहित्य, कला और पुस्तकें पढ़ने के प्रति रुचि बढ़ाने तथा उनके हुनर को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इस प्रकार, बच्चों का बौद्धिक, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षित रह सकेगा।
गजानन पांडेय, काचीगुड़ा, हैदराबाद

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