अमेरिकी टैरिफ का सामना करने को तैयार भारतीय उद्योग : दीपक मैनी
गुरुग्राम, 3 अप्रैल (हप्र)
अमेरिका द्वारा भारत पर 26 प्रतिशत आयात शुल्क (टैरिफ) लगाए जाने के फैसले को लेकर प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (पीएफटीआई) के चेयरमैन दीपक मैनी ने कहा कि यह भारतीय उद्योगों के लिए एक चुनौती है, लेकिन सही रणनीति से इसे अवसर में बदला जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि निर्यात नीति में बदलाव, वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट्स पर फोकस और नए बाजारों की तलाश से भारत इस झटके को कम कर सकता है।
अमेरिका भारत का बड़ा निर्यात गंतव्य है। जहां वित्तीय वर्ष 2024 में कुल 6.5 लाख करोड़ रुपये का कुल निर्यात हुआ। इस टैरिफ वृद्धि से भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता पर असर पड़ सकता है, जिससे निर्यात में कमी आने की संभावना है। दीपक मैनी ने कहा कि भारत का निर्यात पहले ही वैश्विक अनिश्चितताओं, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और लॉजिस्टिक्स समस्याओं से जूझ रहा है। अब इस टैरिफ बढ़ोतरी से कंपनियों को अतिरिक्त दबाव झेलना पड़ेगा। विशेष रूप से, जिन उत्पादों पर पहले से ही कम मार्जिन था, वे अब और अधिक महंगे हो जाएंगे, जिससे अमेरिकी बाजार में उनकी मांग प्रभावित हो सकती है।
यह सेक्टर होंगे प्रभावित...
-भारतीय स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर पहले ही उच्च टैरिफ हैं, और इस वृद्धि से कंपनियों को ज्यादा लागत वहन करनी पड़ेगी।
-भारत से अमेरिका को होने वाले कुल निर्यात में टेक्सटाइल्स की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत है। टैरिफ वृद्धि से भारतीय कपड़ा उद्योग को कारोबारी प्रतिस्पर्धा में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
निर्यात नीति में बदलाव की जरूरत
पीएफटीआई के चेयरमैन दीपक मैनी ने सुझाव दिया कि भारत को अपनी निर्यात नीति को और अधिक मजबूत बनाने की जरूरत है। जिससे इस प्रकार के टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि भारत को सिर्फ अमेरिकी बाजार पर निर्भर रहने के बजाय अपने व्यापारिक रिश्तों को विविधता प्रदान करनी चाहिए। दक्षिण-पूर्व एशिया, यूरोप, लैटिन अमेरिका और अफ्रीकी बाजारों में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए नई नीतियां बनाई जानी चाहिए। भारतीय कंपनियों को वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट्स की ओर बढ़ना चाहिए।