Himachal Budget 2025 : CM सुक्खू ने हिमाचल को कर्ज के जाल में फंसाने के लिए BJP को ठहराया जिम्मेदार, कहा- देनदारियां चुकता करने की बजाय...
ज्ञान ठाकुर
शिमला, 21 मार्च।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश को कर्ज के जाल में फंसाने के लिए पूर्व भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। वर्ष 2025-26 के आम बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सीएम ने कहा कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में हिमाचल को राजस्व घाटा अनुदान और जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में केंद्र से 68 हजार करोड़ रुपए की उदार धनराशि प्राप्त हुई। भाजपा ने इसे प्रदेश का कर्ज लौटाने अथवा कर्मचारियों की वेतन आयोग की देनदारियां चुकता करने की बजाय चुनावी रेवड़ियां बांटने पर खर्च कर दिया।
उनकी सरकार ने दो वर्ष के कार्यकाल में केवल 29046 करोड़ रुपए का ऋण लिया। इसमें से 12266 करोड़ पूर्व में लिए गए ऋणों का ब्याज चुकाने और 8087 करोड़ रुपए कर्ज चुकाने पर ही खर्च हो गए। ऐसे में विकास कार्यों के लिए सिर्फ 8693 करोड़ रुपए ही बचे। राज्य के आगामी वित्त वर्ष के बजट में पूंजीगत व्यय के लिए हालांकि 3976 करोड़ रुपए का ही प्रस्ताव किया गया है। आय के अतिरिक्त संसाधन जुटने पर यह राशि बढ़ाई जाएगी और साल के अंत तक प्रदेश में पूंजीगत खर्चों पर 5 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की जाएगी। पूर्व सरकार ने अपने कार्यकाल में 40352 करोड़ रुपए के ऋण लिए।
उन्होंने कहा कि इसमें से वर्ष 2018-19 में 5745 करोड़ रुपए, 2029-20 में 5000 करोड़, साल 2020-21 में 10888 करोड़ रुपए, वर्ष 2021-22 में 8321 करोड़ रुपए और दिसंबर 2022 तक 10398 करोड़ रुपए के ऋण लिए। पूर्व सरकार ने पांच साल में 40352 करोड़ रुपए के कर्ज उठाने के बावजूद प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार उनका एरियर नहीं दिया। प्रदेश का बजट उपलब्ध संसाधनों पर आधारित है।
आरडीजी को कम करने और ऋण जुटाने की सीमा को सिमित करने के कारण प्रदेश को 3 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इसलिए बजट आकार में आगामी वित्त वर्ष के लिए ज्यादा वृद्धि नहीं हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद ओपीएस बहाल किए जाने पर केंद्र सरकार ने राज्य की ऋण सीमा में 1700 करोड़ रुपए की कटौती कर दी है।
इस कारण भी बजट में वृद्धि नहीं हो पाई है। पूर्व भाजपा सरकार को पांच साल में आरडीजी और जीएसटी मुआवजे के रूप में 68 हजार करोड़ रुपए जबकि 11 हजार करोड़ रुपए कोरोना के कारण आई मंदी को देखते हुए 15वें वित्त आयोग की सिफारिश पर मिले। इसके बावजूद पूर्व सरकार ने प्रदेश सरकार की देनदारियों को चुकता नहीं किया।
उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने 1 मई, 2022 को संशोधित वेतनमान देने के आदेश तो दे दिए लेकिन कर्मचारियों को एरियर नहीं दिया गया और महज चुनावी रेवड़ियों पर सारा पैसा खर्च कर दिया। ऐसे में मौजूदा कांग्रेस सरकार को केवल कर्मचारियों की ही 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक की देनदारियां विरासत में मिली है। मुख्यमंत्री ने दावा किया उनकी सरकार ने बीते दो सालों में सुशासन पर जोर दिया है और संसाधन जुटाने और फिजुलखर्ची को भी कम किया है।
इस बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सदन में जब बजट पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे तो विपक्ष ने मुख्यमंत्री द्वारा कर्ज उठाने को लेकर दिए गए आंकड़ों का विरोध किया । नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर इस दौरान अपनी सीट पर खड़े हो गए और अपना पक्ष रखने की बात करने लगे लेकिन विधासनभा अध्यक्ष ने इसकी इजाजत नहीं दी। इस पर पूरा विपक्ष ही अपनी सीटों पर खड़ा हो गया और कुछ देर के हंगामे और नारेबाजी के बाद सदन से उठकर बाहर चला गया।
सरकारी समारोहों में मुख्य अतिथि के मुद्दे पर कमेटी गठित करेगी
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य, जिला व मेलों सहित अन्य महत्वपूर्ण समारोहों में किसे मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जा सकता है, को लेकर सरकार एक समिति गठित करेगी जो इस बारे में विस्तृत दिशा-निर्देश तय करेगी। समिति की रिपोर्ट को मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा ताकि मुख्य अतिथि के रूप में किसे आमंत्रित किया जा सकता है, इस पर कोई विवाद न रहे।
सरकार इस मुद्दे पर विधानसभा अध्यक्ष की अध्यक्षता में भी बैठक करेगी और इसमें विपक्ष के सदस्यों को भी बुलाया जाएगा। ये मामला भाषा संस्कृति विभाग से भी जुड़ा है, इसलिए विभाग भी अपने दिशा निर्देश जारी करेगा। जब वह विपक्ष में थे तो हरोली में प्रदेश के सबसे बड़े पुल के उद्घाटन में भी पूर्व सरकार ने पट्टिका में हरोली से हारे हुए उम्मीदवार का नाम लिख दिया था।
मुख्यमंत्री ने की ये घोषणाएं
- करूणामूलक आधार पर नौकरी के लिए एक महीने में नीति लाएगी सरकार
- एक लाख रुपए बढ़ी विधायकों की ऐच्छिक नीधि
- रेणूका जी को पर्यटन दृष्टि से विकसित करने के लिए बजट में होगा प्रावधान
- बिजली बोर्ड के सिविल विंग अन्य विभागों में होगा मर्ज
- सभी मेडिकल कॉलेजों में 1 साल में उपलब्ध होंगी आधुनिकतम स्वास्थ्य सुविधाएं
- पंचायतों को मिलेगा पानी का बिल वसूलने का अधिकार