प्रथम-शैलपुत्री
नवदुर्गाओं में पहला नाम शैलपुत्री का है जो गिरिराज हिमालय की पुत्री हैं। अपने पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष के यहां कन्या के रूप में पैदा हुई थीं। मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बायें हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण वह शैलपुत्री कहलाती हैं। मां शैलपुत्री का वाहन वृषभ है। अपने भक्तों की यह सदैव रक्षा करती हैं। नवरात्र पूजन में प्रथम दिन भक्त पूजन करते हुए इस श्लोक का उच्चारण करते हैं-
‘वंदे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्’
घटस्थापन का मुहूर्त
‘सिद्धार्थी’ नामक नूतन संवत् 2082 प्रारम्भ, चैत्र (वासन्त) नवरात्र आज से प्रारंभ होंगे। आज से व्रतानुष्ठान, होम-दानादि शुभ कार्यों के संकल्पादि में नूतन संवत् का नाम लिया जाएगा। संवत् का राजा व मंत्री सूर्य रहेंगे। नवरात्रि पूजन में घटस्थापन प्रात: सूर्योदय से 10.23 बजे तक तथा दूसरा अभिजित मुहूर्त दोपहर 12.00 से 12.50 तक रहेगा।