Navratri 5th Day : नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की करें पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी
चंडीगढ़, 1 अप्रैल (ट्रिन्यू)
Navratri 5th Day : हिंदू धर्म में देवी दुर्गा के नौ रूपों का अत्यधिक महत्व है। इन नौ रूपों में से एक है स्कंदमाता। उन्हें ‘स्कंद की माता’ भी कहा जाता है, क्योंकि ये भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता हैं। स्कंदमाता की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान होती है, जहां उन्हें 5वें दिन पूजा जाता है। स्कंदमाता की पूजा से भक्तों को शक्ति, समृद्धि, सुख और शांति प्राप्त होती है।
स्कंदमाता का रूप
स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत भव्य और सौम्य होता है। वे अक्सर अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को गोद में लिए हुए दिखाई जाती हैं। आभूषणों से सुसज्जित मां का चेहरा दिव्य एवं शांत होता है। वे एक शेर या सिंह पर बैठी होती हैं, जो उनके साथ शक्ति और बल का प्रतीक है। स्कंदमाता के 4 हाथ होते हैं- दो हाथों में वे अपने पुत्र स्कंद को पकड़े रहती हैं। अन्य दो हाथों में कमल और शंख धारण करती हैं। इन हाथों में धारण किए गए ये वस्त्र और उपकरण शक्ति, ज्ञान और समृद्धि के प्रतीक होते हैं।
स्कंदमाता की पूजा का महत्व
स्कंदमाता की पूजा का महत्व विशेष रूप से नवरात्रि के 5वें दिन होता है, जो भक्तों के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। इस दिन देवी की उपासना से मानसिक शांति, आत्मविश्वास और कार्यों में सफलता मिलती है। स्कंदमाता की उपासना से न केवल शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है, बल्कि उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-समृद्धि और समृद्धि का वास होता है। पुराणों में देवी के इस स्वरुप को कुमार कहकर संबोधित किया जाता है। उनका जन्म अत्याचारी राक्षसों का नाश करने के लिए हुआ था।
देवी स्कंदमाता का स्तोत्र पाठ
नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम्॥
शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रीन्तिभास्कराम्॥
महेन्द्रकश्यपार्चिता सनंतकुमाररसस्तुताम्।
सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलादभुताम्॥
अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।
मुमुक्षुभिर्विचिन्तता विशेषतत्वमुचिताम्॥
नानालंकार भूषितां मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।
सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेन्दमारभुषताम्॥
सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्रकौरिघातिनीम्।
शुभां पुष्पमालिनी सुकर्णकल्पशाखिनीम्॥
तमोन्धकारयामिनी शिवस्वभाव कामिनीम्।
सहस्त्र्सूर्यराजिका धनज्ज्योगकारिकाम्॥
सुशुध्द काल कन्दला सुभडवृन्दमजुल्लाम्।
प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरं सतीम्॥
स्वकर्मकारिणी गति हरिप्रयाच पार्वतीम्।
अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥
पुनःपुनर्जगद्वितां नमाम्यहं सुरार्चिताम्।
जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवीपाहिमाम्॥
ऐसे करें मां को प्रसन्न
नवरात्रि के पांचवें दिन सफेद रंग के कपड़े पहनें। माता को प्रसन्न करने के लिए सफेद रंग के फूल, चावल की खीर या बर्फी आदि अर्पित करें। इसके अलावा मां को केले का भोग भी लगाया जाता है।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।