जगाधरी के कई प्राचीन मंदिरों में दशकों से जल रही अखंड ज्योत
अरविंद शर्मा/हप्र
जगाधरी, 29 मार्च
क्षेत्र के कई प्राचीन धार्मिक स्थल देश-विदेश में विख्यात हैं और इनमें श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है। इनमें प्राचीन देवी भवन मंदिर, प्राचीन श्री सूर्यकुंड मंदिर अमादलपुर, प्राचीन श्री स्वरूपेश्वर महादेव मंदिर, श्री पातालेश्वर ज्योर्तिंलग सिद्ध पीठ दयालगढ़, गौरी शंकर मंदिर जगाधरी, स्वयं भू शिव मंदिर भाठली, खेड़ा मंदिर जगाधरी आदि शामिल हैं। वहीं जगाधरी -यमुनानगर इलाके में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां मां की अखंड ज्योत दशकों से जल रही है।
देवी भवन मंदिर जगाधरी में 220 साल से अखंड ज्योत जल रही है। इसी प्रकार यमुनानगर के रादौर रोड स्थित देवी माता मंदिर में 70 साल से 11 अखंड ज्योत जल रही हैं। मंदिर समिति के कैलाश चंद का कहना है कि मंदिर मेें सच्चे मन से मन्नत मांगने वाले की इच्छा जरूर पूरी होती है। छोटी लाइन स्थित मां जंगलावाली मंदिर में भी 50 साल से मां की अखंड ज्योत जल रही है। मां के भक्त नरेश उप्पल का कहना है कि यहां पर देश-विदेश से श्रद्धालु शीश नवाने आते हैं। वे स्वयं दशकों से मंदिर में मां के दर्शन करने रोज जाते हैं। मां का आशीर्वाद लेने के पश्चात ही दिन की शुरूआत करते हैं। देवी भवन मंदिर का निर्माण वर्ष-1803 में हुआ था। मुस्लिम कारीगरों ने बेहतरीन नक्काशी कर इस मंदिर का निर्माण किया था। मंदिर के पुजारी पंडित अतुल शास्त्री ने बताया कि यहां माता मनसा देवी के चरणों में श्रद्धालु नतमस्तक होते हैं। मंदिर का निर्माण 1797 में शुरू हुआ था और 1803 में पूरा हुआ। इस मंदिर का निर्माण बूड़िया रियासत के वजीर जवाहर मल खत्री ने कराया था। मुस्लिम कारीगरों ने बेहतरीन नक्कासी कर मंदिर को भव्य रूप देकर तैयार किया था। प्रारंभिक दौर में भवन का निर्माण एक किले के रूप में हुआ था। अंग्रेज भवन पर कब्जा लेने अवश्य आए थे, लेकिन इसकी भव्यता देख बिना कुछ किए लौट गए थे।