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मोगा सैक्स स्कैंडल : एसएसपी, एसपी और 2 इंस्पेक्टर दोषी करार

06:00 AM Mar 30, 2025 IST
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राजीव तनेजा/हप्र

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मोहाली, 29 मार्च

18 साल पुराने चर्चित मोगा सैक्स रैकेट केस में मोहाली की विशेष सीबीआई कोर्ट ने मोगा के पूर्व एसएसपी, पूर्व एसपी और दो तत्कालीन एसएचओ को भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के आरोपों में दोषी करार दिया है। वहीं मामले में पूर्व मंत्री के बेटे व एक अन्य को सभी आरोपों से बरी कर दिया। सीबीआई के वकील अनमोल नारंग ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि सीबीआई काेर्ट 4 अप्रैल को आरोपियों को सजा सुनाई जाएगी।

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जानकारी के मुताबिक विशेष न्यायाधीश द्वितीय राकेश गुप्ता ने शनिवार को सुनाए अपने फैसले में आरोपियों को भ्रष्टाचार और जबरन वसूली से संबंधित आरोपों में दोषी पाया। दोषी ठहराए गए अधिकारियों में मोगा के तत्कालीन एसएसपी देविंदर सिंह गरचा, मोगा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय) परमदीप सिंह संधू, मोगा के तत्कालीन एसएचओ रमन कुमार और अमरजीत सिंह शामिल हैं। कोर्ट ने देविंदर सिंह गरचा और पीएस संधू को भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम की धारा 13 (1)(डी) के साथ धारा 13(2) के तहत दोषी पाया। इसी तरह, रमन कुमार और अमरजीत सिंह को पीसी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 384 (जबरन वसूली) के समान प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया गया। साथ ही अमरजीत सिंह को धारा 384 के साथ धारा 511 आईपीसी के तहत भी दोषी ठहराया।

बता दें कि 2007 के चर्चिस मोगा सैक्स स्कैंडल में हाई प्रोफाइल लोग शामिल थे। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद सीबीआई ने शुरू में मामला दर्ज किया था, जिसने 11 दिसंबर 2007 को एक आदेश में जांच एजेंसी को सौंपी थी। अदालत ने संभावित राजनीतिक और प्रशासनिक दबावों का हवाला देते हुए राज्य पुलिस की निष्पक्ष जांच करने की क्षमता पर चिंता व्यक्त की। इसके बाद, सीबीआई ने पीसी अधिनियम, 1988 की धारा 7, 13(2) सहपठित 13(1) (डी) के साथ-साथ धारा 384, 211 और 120बी आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज की। आरोपियों में मोगा के पीएस सिटी-1 के तत्कालीन एसएचओ अमरजीत सिंह के साथ-साथ निजी व्यक्ति मंजीत कौर और मनप्रीत कौर शामिल थे।

झूठी एफआईआर दर्ज कर निर्दोष लोगों को फंसाकर रिश्वत ली

सीबीआई की जांच में पता चला कि देविंदर सिंह गरचा, परमदीप सिंह संधू, अमरजीत सिंह और रमन कुमार ने अकाली नेता तोता सिंह के बेटे बरजिंदर सिंह उर्फ ​​मक्खन और अन्य के साथ अवैध वित्तीय लाभ हासिल करने के लिए साजिश रची। उन्होंने कथित तौर पर झूठी एफआईआर दर्ज की और निर्दोष लोगों को फंसाकर उनसे रिश्वत ली ताकि उन्हें मामलों से बाहर निकाला जा सके। साजिश में कथित पीड़ित और शिकायतकर्ता मनप्रीत कौर द्वारा दिए झूठे हलफनामों का इस्तेमाल करना शामिल था। मुकदमे के दौरान मनप्रीत कौर को क्षमादान दिया गया और उसे सरकारी गवाह बनाया गया था। हालांकि, बाद में उसे अदालत में पक्षद्रोही घोषित कर दिया गया, जिसके कारण मोहाली में न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में उसके खिलाफ अलग से कार्यवाही शुरू हुई। इसके अलावा, आरोपी रणबीर सिंह उर्फ ​​रानू और करमजीत सिंह बठ्ठ भी सरकारी गवाह बन गए और अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर गवाही दी। एक अन्य आरोपी मंजीत कौर की मुकदमे के दौरान मौत हो गई, जिसके कारण उसके खिलाफ कार्यवाही रोक दी गई।

 

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