भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण की जरूरत : कुलपति
रोहतक, 5 अप्रैल (हप्र)
बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय, रोहतक में भारतीय ज्ञान प्रणाली ‘गौरवशाली अतीत से उज्ज्वल भविष्य तक’ विषय पर आयोजित 2 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। सम्मेलन का आयोजन बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय, महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश और आईके गुजराल पंजाब तकनीकी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित कर इसे वैश्विक स्तर पर प्रभावी रूप से प्रस्तुत करना है। सम्मेलन के दूसरे दिन विभिन्न शोध पत्र वाचन, पैनल चर्चाएं एवं विद्वानों के संवाद आयोजित किए गए। संगोष्ठी की सफलता में महंत बालकनाथ योगी एवं डॉ. नंद किशोर गर्ग का विशेष मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. एचएल वर्मा ने भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रासंगिकता और उसके संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय ग्रंथों में निहित ज्ञान केवल धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अद्वितीय है। मुख्य अतिथि एमएयू के कुलपति प्रो. परविंदर सिंह, महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरके गुप्ता, आईके गुजराल पंजाब टेक्निकल विश्वविद्यालय के प्रो. सुशील मित्तल व सुरेश गुप्ता ने भारतीय ज्ञान परंपरा की वैश्विक स्वीकार्यता एवं उसकी आधुनिक समाज में उपयोगिता पर विचार व्यक्त किए।
संगोष्ठी में लगभग 800 शोध पत्र विभिन्न तकनीकी सत्रों में प्रस्तुत किए गए। विशिष्ट अतिथि डॉ. सुमन राठी द्वारा अवाॅर्ड अनाउंसमेंट किया गया, जिसमें श्रेष्ठ शोध पत्रों को सम्मानित किया गया। मौके पर डॉ. विनोद कुमार, डॉ. नवीन कुमार, डॉ. दीपक यादव प्रतिष्ठित प्रोफेसरों, तथा विभागाध्यक्ष व शोधार्थी मौजूद रहे।