पहले न्यायिक कार्य वापस लिए, अब इलाहाबाद भेजे गए जस्टिस वर्मा
नयी दिल्ली, 24 मार्च (एजेंसी)
सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होने के मामले में जांच का सामना कर रहे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने की सिफारिश की गई है। यह निर्णय मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के नेतृत्व वाले पांच सदस्यीय सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सोमवार को दूसरी बार इस मुद्दे पर विचार करने के बाद लिया गया। इससे पहले न्यायमूर्ति वर्मा से सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने न्यायिक कामकाज वापस ले लिया था।
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर न्यायमूर्ति वर्मा का तबादला करने की केंद्र से की गयी सिफारिश सार्वजनिक की गयी है। उच्चतम न्यायालय ने 21 मार्च को कहा था कि दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच शुरू की है और उन्हें स्थानांतरित करने का एक अलग प्रस्ताव है। बताया जा रहा है कि न्यायमूर्ति उपाध्याय ने 20 मार्च को उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम की बैठक होने से पहले ही जांच शुरू कर दी थी। नकदी की कथित बरामदगी 14 मार्च की रात को करीब 11 बजकर 35 मिनट पर यहां लुटियंस क्षेत्र में न्यायमूर्ति वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने के बाद हुई थी। प्रधान न्यायाधीश ने जांच के लिए एक आंतरिक समिति गठित की और दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय को न्यायमूर्ति वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपने को कहा। उच्चतम न्यायालय ने मामले की आंतरिक जांच रिपोर्ट 22 मार्च को देर रात अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी, जिसमें फोटो और वीडियो भी शामिल थे।
विरोध में वकील करेंगे हड़ताल
प्रयागराज (एजेंसी) : इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरण करने का विरोध करते हुए मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय किया है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने बताया कि अधिवक्ता न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के इलाहाबाद हाईकोर्ट इसकी लखनऊ पीठ या किसी अन्य हाईकोर्ट के लिए स्थानांतरण के किसी भी प्रस्ताव के खिलाफ है।
धनखड़ ने चीफ जस्िटस के कदम को सराहा
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने न्यायाधीश के आवास से नकदी बरामदगी मामले में न्यायिक जवाबदेही को लेकर सोमवार को सदन के नेता जेपी नड्डा और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ बैठक की। इसके साथ ही, धनखड़ ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को आगे बढ़ाने से पहले प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) द्वारा नियुक्त आंतरिक जांच पैनल के नतीजे का इंतजार करने का फैसला किया है। धनखड़ ने प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने ‘प्रभावशाली, पारदर्शी तरीके से’’ कार्रवाई शुरू की है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता के सुझाव के अनुसार, वे जल्द ही इस मुद्दे पर राज्यसभा में विभिन्न दलों के नेताओं की बैठक बुलाएंगे और एनजेएसी अधिनियम के मुद्दे को आगे बढ़ाएंगे। फोटो-प्रेट्र