झूठ साबित हुए सरकार के गेहूं, सरसों खरीद के दावे : हुड्डा
चंडीगढ़, 7 अप्रैल (ट्रिन्यू)
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि हर एक फसली सीजन की तरह इस बार भी भाजपा सरकार के वादे और दावों की पोल खुल गई है। एक बार फिर किसान को एमएसपी और मंडियों में सुविधा देने में सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है। सरसों के बाद अब गेहूं के किसानों को भी प्राइवेट एजेंसियों के हाथों लुटवाने की प्लानिंग शुरू हो गई। फसल की खरीद करना तो दूर, सरकार अब तक मंडी में पीने के पानी की व्यवस्था और फसल उठान के लिए टेंडर तक नहीं कर पाई।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि किसानों को लूटना और उनको बेवजह परेशान करना, भाजपा की नीति बन गई है। हुड्डा ने कहा कि मंडियों में गेहूं की आवक जारी है। लेकिन खरीद उस गति से नहीं हो रही। प्रदेशभर से किसानों की शिकायतें आ रही हैं कि कहीं नमी का बहाना बनाकर, तो कहीं एजेंसी नहीं पहुंचने के चलते किसानों को इंतजार करवाया जा रहा है। सरसों के किसान तो एमएसपी से लगभग 500 रुपये कम रेट में फसल बेचने को मजबूर हैं।
इतना ही नहीं, फसल लेकर पहुंच रहे किसानों की सुविधा का भी कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा। किसानों को उठान के टेंडर में देरी, बारदाना ना होने, आधी-अधूरी सफाई और वाटर कूलर खराब होने जैसी अनगिनत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई जिलों में तो अब तक खरीद भी शुरू नही की गई है। हुड्डा ने कहा कि सरकार ने पहली अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू करने का ऐलान किया था।
हमेशा की तरह सरकारी लेटलतीफी के चलते कहीं उठान के लिए टेंडर नहीं किए गए तो कहीं अढ़तियों को बारदाना नहीं दिया गया। उठान नहीं होने के चलते हर बार मंडियों में फसल का अंबार लग जाता है। किसानों को अपनी फसल रखने की जगह तक नहीं मिलती। उठान में देरी के चलते किसानों की पेमेंट में भी देरी की जाती है। े