जिस प्रॉपर्टी सर्वे पर हुआ बवाल, उसी के लिए केंद्र से मिली शाबाशी
यहां बता दें कि हरियाणा में पिछले साल लोकसभा और विधानसभा चुनावों में प्रॉपर्टी आईडी बड़ा चुनावी मुद्दा बना था। इससे पहले भी विपक्ष ने प्रॉपर्टी आईडी को लेकर सवाल उठाए थे। करोड़ों रुपये के घोटाले के आरोप भी लगे थे। प्रदेश में प्रॉपर्टी आईडी के लिए सर्वे करने वाली जयुपर की याशी कंपनी के साथ किए एग्रीमेंट को भी सरकार ने रद्द कर दिया था। कंपनी के 32 करोड़ रुपये से अधिक शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने अभी भी रोके हुए हैं।
हालांकि इस विवाद के पीछे सबसे बड़ी वजह प्रॉपर्टी आईडी नहीं बल्कि इसके साथ जमीनों की रजिस्ट्री को जोड़ना था। कंपनी के साथ शहरों में प्रॉपर्टी सर्वे के लिए एग्रीमेंट किया गया। बाद में सरकार ने सर्वे के साथ-साथ जमीनाें की रजिस्ट्री को भी इसके साथ जोड़ दिया। शहरों में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए निकायों – नगर निगमों, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं से प्रॉपर्टी आईडी को अनिवार्य किया गया। हालांकि सर्वे में कुछ गलतियां भी थीं लेकिन उन्हें दूर भी किया जा रहा था। अधिक बवाल रजिस्ट्री के चलते हुआ।
अब जब केंद्र से शाबाशी के साथ 150 करोड़ रुपये की ग्रांट मिली है तो प्रॉपर्टी सर्वे को लेकर पीठ भी थपथपाई जा रही है। जीआईएस आधारित प्रापर्टी टैक्स सर्वे प्रोजेक्ट के लिए हरियाणा को गोल्ड मेडल प्रदान किया जाएगा। इस परियोजना को परिवहन, शहरी विकास और अन्य परियोजनाओं के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के उत्कृष्ट उपयोग श्रेणी में अवार्ड प्राप्त हो रहा है।
हरियाणा के शहरी निकाय विभाग के आयुक्त एवं सचिव विकास गुप्ता 18 मार्च को नई दिल्ली में यह राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त करेंगे। केंद्र सरकार की ओर से राज्य को 150 करोड़ रुपये का जो अनुदान मिला है, वह पूंजी निवेश में खर्च होना प्रस्तावित है। यह राशि उन शहरी विकास परियोजनाओं पर खर्च की जाएगी, जिसमें प्रदेश में टैक्स क्लेक्शन, आधारभूत संरचना और नगर निगमों की कार्यप्रणाली को मअधिक मजबूत करने का प्रावधान है।
केंद्र की ओर से दी गई सूचना
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के पब्लिक फाइनेंस-स्टेट डिविजन ब्रांच की सहायक निदेशक अंजलि मौर्य की ओर से हरियाणा सरकार को इस अनुदान की जानकारी प्रदान की गई है। राज्य सरकार को पहले ग्रांट और अब पुरस्कार मिलने से प्रापर्टी टैक्स सर्वे की वैधानिकता तथा स्वीकार्यता पर मुहर लगी है।
बढ़ गई 20 लाख प्रॉपर्टी
हरियाणा में प्रॉपर्टी सर्वे का काम फरवरी-2022 में पूरा हो चुका था। इस सर्वे से पहले राज्य सरकार के रिकार्ड में 26 लाख प्रॉपर्टी दर्ज थीं। सर्वे के बाद इनकी संख्या बढ़कर 46 लाख से अधिक हो गई। इन प्रॉपर्टी के हिसाब से निकायों के पास 960 करोड़ रुपये का सालाना प्रॉपर्टी टैक्स आना प्रस्तावित था। सर्वे से पहले 360 करोड़ रुपये सालाना प्रॉपर्टी टैक्स बनता था। प्रॉपर्टी आईडी बनने के बाद 2024 में 535 करोड़ रुपये प्रॉपर्टी टैक्स से निकायों को मिले।