मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

अब दर्द रहित होगी ब्लड शुगर की जांच

05:00 AM Mar 21, 2025 IST
featuredImage featuredImage

अक्षय ठाकुर/ट्रिन्यू
नई दिल्ली, 20 मार्च
मधुमेह रोगियों को अब रक्त शुगर जांच के लिए अब सुई की चुभन नहीं झेलनी पड़ेगी। भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के शोधकर्ताओं ने ग्लूकोज के स्तर को मापने के लिए एक दर्द रहित तकनीक विकसित की है।

आईआईएससी के इंस्ट्रूमेंटेशन और एप्लाइड फिजिक्स विभाग में सहायक प्रोफेसर जया प्रकाश ने बताया कि मधुमेह रोगियों को अक्सर दिन में कई बार अपने ग्लूकोज के स्तर की जांच करने की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि सुइयों का बार-बार इस्तेमाल न केवल असुविधाजनक है, बल्कि इससे संक्रमण का खतरा भी है। उन्होंने कहा कि हमारी टीम ने फोटोएकॉस्टिक सेंसिंग नामक एक नई विधि शुरू की है, जिसमें ग्लूकोज के स्तर को मापने के लिए लेजर बीम का उपयोग किया जाता है। फोटोएकॉस्टिक सेंसिंग में त्वचा में प्रकाश की किरणें पड़ने से ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं। इस तकनीक में, त्वचा पर एक लेजर बीम प्रक्षेपित की जाती है, जहां इसे अवशोषित किया जाता है। प्रकाश के अवशोषण के कारण ऊतक फैलता है, जिससे कंपन पैदा होता है जिसे सेंसर द्वारा पकड़ा जाता है। ग्लूकोज इन ध्वनि तरंगों की तीव्रता को बदलता है, जिससे वे रक्त शर्करा के स्तर को सटीक रूप से माप सकते हैं।
ध्वनि तरंगों की तीव्रता से शोधकर्ता ग्लूकोज की मात्रा का अनुमान लगाते हैं। खास बात यह है कि यह प्रक्रिया त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाती है।
प्रकाश ने बताया कि जब त्वचा की बाहरी परत पर लेजर बीम चमकती है, तो त्वचा प्रकाश को अपने में समेट लेती है और थोड़ा गर्म हो जाती है। इससे त्वचा फैलती और सिकुड़ती है, जिससे कंपन पैदा होता है जिसे संवेदनशील डिटेक्टरों द्वारा अल्ट्रासोनिक ध्वनि तरंगों के रूप में पकड़ा जा सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस प्रक्रिया से त्वचा को कोई नुकसान नहीं होता है।
शोधकर्ताओं ने पानी, सीरम घोल और जानवरों की त्वचा के टुकड़ों में ग्लूकोज की मात्रा का अनुमान लगभग ​​सटीकता के साथ सफलतापूर्वक लगाया। उन्होंने विभिन्न त्वचा की गहराई पर ग्लूकोज के स्तर को मापने की क्षमता का भी प्रदर्शन किया।
आईअाईसीएस में पीएचडी की छात्रा स्वाति पद्मनाभन ने कहा कि अगर हम इस त्वचा में ध्वनि की गति जानते हैं, तो हम अपने ध्वनिक संकेतों को उस गहराई पर मैप करने के लिए समय शृंखला डेटा का उपयोग कर सकते हैं जहां से वे आ रहे हैं। चूंकि ध्वनि तरंगें त्वचा के अंदर बहुत अधिक नहीं बिखरती हैं, इसलिए शोधकर्ता विभिन्न ऊतक गहराई पर सटीक माप प्राप्त करने में सक्षम थे।
Advertisement

 

3 दिन तक किया पायलट अध्ययन टीम ने तीन दिनों तक स्वस्थ प्रतिभागियों में भोजन से पहले और बाद में रक्त शर्करा के स्तर को ट्रैक करने के लिए सेंसर सेटअप का उपयोग करके एक पायलट अध्ययन किया। पद्मनाभन ने कहा कि इस प्रयोग को करने के लिए सही सेटअप ढूंढ़ना बहुत चुनौतीपूर्ण था। वर्तमान में, हम जिस लेजर स्रोत का उपयोग करते हैं, उसे बहुत छोटे नैनोसेकंड पल्स उत्पन्न करने होते हैं, इसलिए यह महंगा और भारी होता है। हमें इसे क्लिनिकल ​​उपयोग के लिए और अधिक कॉम्पैक्ट बनाने की आवश्यकता है। मेरे लैब के साथियों ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है।
क्या है फोटोएकॉस्टिक सेंसिंग यह एक गैर-आक्रामक तकनीक है जो जैविक ऊतकों में ग्लूकोज को मापने के लिए लेजर बीम का उपयोग करती है। लेजर को त्वचा पर प्रक्षेपित किया जाता है जो प्रकाश को अवशोषित करता है, कंपन के माध्यम से ध्वनि तरंगें उत्पन्न करता है। तब तरंगों का पता सेंसर द्वारा लगाया जाता है, जिससे बिना दर्द के सटीक माप संभव हो जाता है।

Advertisement

Advertisement