कैश कांड : कानून मंत्री से बयान की मांग
नयी दिल्ली, 27 मार्च (एजेंसी)
दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज के सरकारी आवास से कथित तौर पर अधजली नकदी मिलने का मुद्दा बृहस्पतिवार को लोकसभा में उठा। सदस्यों ने कानून मंत्री से बयान देने की मांग की। तृणमूल कांगेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की घटना सामने आने के बाद न्यायपालिका पर जनता का विश्वास डगमगा गया है। उन्होंने कहा कि जज को एक लोकसेवक मानते हुए उनके खिलाफ लोकपाल की जांच क्यों नहीं कराई जानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया, ‘कलकत्ता हाईकोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट को भ्रष्ट जजों का ‘डंपिंग ग्राउंड’ नहीं बनाया जा सकता।’
कांग्रेस के मनीष तिवारी ने इस मुद्दे पर कहा कि इस घटना ने नागरिकों की अंतरात्मा को झकझोर दिया है। तिवारी ने कहा, ‘सरकार को बताना चाहिए कि उसे इस बारे में क्या जानकारी है और आखिरकार क्या हुआ था।’
कांग्रेस की आर. सुधा ने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार की ओर से कोई बयान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारियों के बयानों और घटनाक्रम से ऐसा लगता है कि जज को बचाया जा रहा है।
सीजेआई ने बार नेताओं को दिया आश्वासन
भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने बार के नेताओं को जस्टिस यशवंत वर्मा के स्थानांतरण की कॉलेजियम की सिफारिश को वापस लेने की उनकी मांग पर विचार करने का आज आश्वासन दिया। यह जानकारी इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने दी।
चंडीगढ़ : 17 साल पुराने ‘जज के द्वार नकदी’ मामले का फैसला कल
चंडीगढ़ (रामकृष्ण उपाध्याय/ट्रिन्यू) : सीबीआई कोर्ट चंडीगढ़ की विशेष न्यायाधीश अलका मलिक 17 साल पुराने कथित ‘जज के द्वार नकदी’ मामले में 29 मार्च को फैसला सुनाएंगी। जस्टिस निर्मल यादव की ओर से पेश हुए वकील विशाल गर्ग नरवाना ने दलील दी कि सीबीआई ने उन्हें मामले में झूठा फंसाया है। सीबीआई ने पहले ही मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। चंडीगढ़ पुलिस ने 16 अगस्त, 2008 को एफआईआर दर्ज की थी, जब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की जस्टिस निर्मलजीत कौर के आवास पर कथित तौर पर 15 लाख रुपये से भरा एक बैग गलती से पहुंचा दिया गया था। मामले में सीबीआई अदालत ने 2014 में जस्टिस निर्मल यादव सहित आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे।