Navratri Pauranik Kahaniyan : किसने रखा था सबसे पहले नवरात्रि का व्रत, नाम जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान
चंडीगढ़, 28 मार्च (ट्रिन्यू)
चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मई से हो रही है, जोकि 7 अप्रैल को समाप्त होंगे। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का बहुत महत्व है क्योंकि इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान भक्त माता के उपवास भी करते हैं। क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले नवरात्रि का व्रत किसने रखा था। चलिए आपको बताते हैं इस बारे में क्या कहते हैं पुराण...
किसने रखा था सबसे पहले व्रत?
वाल्मीकि पुराण में नवरात्रि व्रत के महत्व के साथ-साथ इस बात का जिक्र भी किया गया है कि सबसे पहले उपवास किसने रखा था। वाल्मीकि पुराण के अनुसार, व्रत सबसे पहले भगवान श्रीराम ने रखा था। पुराणों के मुताबिक, जब रावण ने माता सीता का हरण किया और उन्हें लंका ले गया तो श्रीराम ने माता दुर्गा की आराधना के लिए नवरात्रि का व्रत किया था।
श्रीराम ने आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक ऋष्यमूक पर्वत पर परमशक्ति देवी दुर्गा की अराधना की थी। इसके बाद दशमी तिथि में उन्होंने लंकापति रावण का वध करके माता सीता को उनकी कैद से आजाद करवाया था। श्रीराम ने माता देवी से अध्यात्मिक बल, शत्रु पराजय और कामना पूर्ति का आशीर्वाद लिया।
इस व्रत का उद्देश्य भगवान श्रीराम ने केवल अपनी विजय के लिए नहीं किया, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के कल्याण और धर्म की स्थापना के लिए रखा। जब उन्होंने देवी दुर्गा की पूजा की, तब उन्होंने शक्ति और साहस की देवी से आशीर्वाद प्राप्त किया, ताकि वह रावण के जैसे अत्याचारी और दुष्ट का नाश कर सकें।
नवरात्रि व्रत का महत्व
नवरात्रि के नौ दिन भगवान श्रीराम ने मानसिक और शारीरिक शुद्धता की ओर अग्रसर होने का एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। नवरात्रि का व्रत शक्ति, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। इसे करने से मानसिक और शारीरिक बल में वृद्धि होती है। भगवान श्रीराम का उदाहरण हमें यह सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी विश्वास और सही मार्ग पर चलने से जीवन की बड़ी से बड़ी कठिनाई को पार किया जा सकता है।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।