Moga Sex Scandal : ब्लैकमेलिंग का खेल, सरकारी गवाह की हत्या...जानें क्या था मोगा सेक्स स्कैंडल जिसने पंजाब पुलिस की साख को लगाया बट्टा
मोहाली 7 अप्रैल
(राजीव तनेजा/हप्र)
मोहाली स्थित सीबीआई की विशेष कोर्ट ने कुख्यात मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में पंजाब के 4 पूर्व पुलिस अधिकारियों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। पिछली सुनवाई पर तत्कालीन एसएसपी दविंदर सिंह गरचा, पूर्व एसपी हेडक्वार्टर मोगा परमदीप सिंह संधू, मोगा सिटी थाने के पूर्व एसएचओ रमन कुमार और मोगा के सिटी पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह को दोषी करार दिया था।
विशेष न्यायाधीश-द्वितीय राकेश गुप्ता के सुनाए फैसले में भ्रष्टाचार व जबरन वसूली में सभी को दोषी माना। दोषियों को सजा के साथ कोर्ट ने दो-दो लाख रुपये जुर्माना भी किया है। पूर्व एसएचओ रमन कुमार को फिरौती एक्ट की धाराओं के तहत 3 साल की और सजा सुनाई और एक लाख रुपये जुर्माना किया। दोषियों के खिलाफ रणजीत सिंह ने केस दायर किया था। कोर्ट ने देविंदर सिंह गरचा और पीएस संधू को भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम की धारा 13(1)(डी) के साथ धारा 13(2) के तहत दोषी पाया।
इसी तरह रमन कुमार और अमरजीत सिंह को पीसी अधिनियम व भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 384 (जबरन वसूली) के समान प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया गया है। अमरजीत सिंह को धारा 384 के साथ धारा 511 आईपीसी के तहत भी दोषी ठहराया गया है। अकाली नेता तोता सिंह के बेटे आरोपी बरजिंदर सिंह उर्फ मक्खन और सुखराज सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है।
क्या था मामला
यह मामला 2007 में उस समय सामने आया था, जब राज्य में अकाली-भाजपा सरकार थी। मोगा के थाना सिटी ने जगराओं के एक गांव की लड़की की शिकायत पर गैंगरेप का मामला दर्ज किया था। इसके बाद पीड़ित लड़की के धारा-164 के बयान दर्ज किए। इसमें उसने करीब 50 अज्ञात लोगों पर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। आरोप है कि पुलिस अधिकारियों ने इस केस की जांच में ब्लैकमेलिंग करनी शुरू कर दी थी। उन्होंने केस में कई व्यापारियों और राजनेताओं के नाम शामिल करने शुरू कर दिए।
इसी दौरान मोगा के भागी गांव के रंजीत सिंह ने एसएचओ अमरजीत सिंह द्वारा 50 हजार रुपए मांगने की ऑडियो रिकॉर्ड कर ली। उसको धमकी दी गई थी कि भुगतान न करने की स्थिति में महिला मनप्रीत कौर की शिकायत दर्ज कर बलात्कार के मामले में उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। रंजीत ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) को इसकी शिकायत की।
इसके बाद यह मामला चर्चा में आ गया था। जब इस मामले में राजनेताओं और व्यापारियों के नाम आने लगे, मीडिया में यह केस सुर्खियों बनने लगा तो 12 नवंबर 2007 को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले का खुद संज्ञान लिया। साथ ही पुलिस ने इस मामले की रिपोर्ट मांगी। इसके बाद सारे केस की जांच करने के बाद हाईकोर्ट ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था।
सरकारी गवाह की कर दी थी हत्या
इस मामले में मनप्रीत कौर नाम की महिला को सरकारी गवाह बनाया गया। हालांकि, बाद में कोर्ट ने उसे विरोधी घोषित किया। इस वजह से उसके खिलाफ मोहाली कोर्ट में अलग से कार्रवाई शुरू हुई। इसके अलावा रणबीर सिंह उर्फ राणू और करमजीत सिंह सरकारी गवाह बने। इस मामले में सरकारी गवाह बनी मनजीत कौर जीरा के पास नाम बदलकर रह रही थी। उस समय वह गर्भवती थी। सितंबर 2018 में उसकी और उसके पति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस पूरे मामले में 2007 में एफआईआर दर्ज कराने वाली नाबालिग लडक़ी के विरुद्ध किशोर न्यायालय में एक अलग मामला लंबित है।
टाइमलाइन
अप्रैल 2007
मोगा जिले में एक ब्लैकमेलिंग रैकेट का खुलासा हुआ। पुलिस आफिसरों और एक राजनेता के बेटे का नाम सामने आया।
दिसंबर 2007
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। केस दर्ज कर जांच शुरु की गई।
फरवरी 2008
सीबीआई ने पूर्व मोगा एसएसपी दविंदर सिंह गरचा और रूपनगर के एसपी मुख्यालय परमजीत सिंह को गिरफ्तार किया।
फरवरी 2012
सीबीआई अदालत ने 9 लोगों पर आरोप तय किए, जिनमें चार पुलिस अधिकारी और अन्य शामिल थे।
सितंबर 2018
मुख्य आरोपी से सरकारी गवाह बनी मनजीत कौर और उनके पति की फिरोजपुर के जीरा में गोली मारकर हत्या कर दी गई।
नवंबर 2024
मोहाली पुलिस ने गवाह बने पति-पत्नी की हत्या मामले में 3 सुपारी किलर को गिरफ्तार किया।
मार्च 2025
चार तत्कालीन पुलिस कर्मियों को दोषी ठहराया गया, 4 अप्रैल को बहस पूरी ना होने पर सजा पर सुनाई टली।
7 अप्रैल
सीबीआई कोर्ट ने दोषियों को सजा सुनाई।