पुरानी खांसी के समाधान को लेकर देशी-विदेशी चिकित्सकों ने की विस्तृत चर्चा
गुरुग्राम, 28 मार्च (हप्र)
बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए शुक्रवार को आर्टेमिस अस्पताल द्वारा पहले इंडो-यूके कफ सिंपोजियम आयोजित किया गया, जिसमें भारत, यूके सहित कई जगहों से चिकित्सा विशेषज्ञ शामिल हुए।
आर्टेमिस अस्पताल के ग्रुप हेड सेल्स एंड मार्किटिंग असगर अली ने बताया कि आयोजन में क्रोनिक कफ (पुरानी खांसी) की जांच एवं उसके समाधान को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। रेस्पिरेटरी मेडिसिन के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गठजोड़ को बढ़ावा दिया।
कार्यक्रम में रॉयल ब्रॉम्प्टन अस्पताल के रेस्पिरेटरी फिजिशियन प्रो. जेम्स हल और इंपीरियल कॉलेज एनएचएस की ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. रोमना कुचाई सहित सर्जरी-ईएनटी हेड डॉ. शशिधर टीबी, रेस्पिरेटरी डिसीज एंड स्लीप मेडिसिन यूनिट-1 की यूनिट हेड एवं सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अरुण चौधरी कोटारू, रेस्पिरेटरी डिसीज एंड स्लीप मेडिसिन यूनिट-2 की सीनियर कंसल्टेंट एवं यूनिट हेड डॉ. श्वेता बंसल शामिल हुए। विशेषज्ञों ने अपनी जानकारी एवं अनुभव से इस सिंपोजियम को सार्थक बनाया। उन्होंने कफ रिसर्च के मामले में नवीनतम जानकारियों, इलाज के नए तरीकों और मरीजों की बेहतर देखभाल के तरीकों को सांझा किया।
डॉ. शशिधर टीबी ने क्रोनिक कफ के मामलों और बढ़ते एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लेवल के बीच संबंध पर चर्चा की। 12 माह के दौरान डॉ. शशिधर और उनकी टीम ने एक्यूआई के बढ़ते स्तर के साथ-साथ लगातार खांसी वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी का अध्ययन किया। उन्होंने कहा कि हवा की खराब गुणवत्ता से सांसों की दिक्कत होती है। यहां तक कि सामान्य तौर पर स्वस्थ लोगों पर भी यह दुष्प्रभाव देखा गया है।
डॉ. अरुण कोटारू ने कहा कि इंंडो-यूके कफ सिंपोजियम जानकारियों के आदान-प्रदान का उल्लेखनीय मंच है। इससे क्रोनिक कफ की जांच एवं उसके समाधान पर विभिन्न तकनीकों से अवगत होने का अवसर मिला है। इससे स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी लाभ मिलेगा। डॉ. श्वेता बंसल ने कहा कि एक परेशानी वाली स्थिति होने के बावजूद क्रोनिक कफ की अक्सर अनदेखी हो जाती है।