India-US trade भारत अमेरिका से कृषि मसले पर कड़ा रुख अपनाएगा, अन्य देशों पर शुल्क में देगा राहत
ज्योति मल्होत्रा / अदिति टंडन, नई दिल्ली, 6 अप्रैल
India-US trade भारत सरकार आगामी भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में कृषि क्षेत्र की पूरी तरह से रक्षा करने के लिए 'कड़ा रुख' अपनाने जा रही है, जबकि ऑटो और गैर-जेनेरिक फार्मा जैसे गैर-कृषि क्षेत्रों में शुल्क (टैरिफ) में कटौती पर सहमति बनने की संभावना है।
सरकारी सूत्रों ने ट्रिब्यून को बताया कि इस उच्चस्तरीय वार्ता का नेतृत्व वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल, विदेश सचिव विक्रम मिस्री और अमेरिका में भारत के राजदूत विनय क्वात्रा करेंगे। ये तीनों अधिकारी अमेरिकी समकक्षों से बातचीत में भाग लेंगे, जिसमें अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 26% टैरिफ और संभावित द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
सूत्रों के अनुसार, भारत का लक्ष्य ऐसा समझौता करना है जो दोनों देशों के लिए लाभकारी हो। इसके तहत अमेरिका की प्रमुख चिंताओं को संबोधित करते हुए भारत अपनी घरेलू प्राथमिकताओं से कोई समझौता नहीं करेगा। भारत अमेरिका से तेल, गैस, मशीनरी और चिकित्सा उपकरणों की खरीद बढ़ाने को भी तैयार है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित टैरिफ के बाद भारत वह अकेला देश था, जहां अमेरिकी वार्ताकार बातचीत के लिए पहुंचे थे। भारत को विश्वास है कि अन्य प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में उस पर कम असर पड़ा, जिससे उसके निर्यातकों को तुलनात्मक लाभ मिला।
कृषि भारत के लिए एक संवेदनशील क्षेत्र है, जिस पर 70 करोड़ से अधिक लोग निर्भर हैं। सरकार कृषि आयात को नियंत्रित करने के लिए 0 से 150% तक टैरिफ लगाती है, ताकि ग्रामीण आबादी की आजीविका सुरक्षित रह सके। एक वरिष्ठ अधिकारी ने ट्रिब्यून से कहा, “हम किसानों की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करेंगे, लेकिन ऑटो जैसे कुछ क्षेत्रों में टैरिफ में कटौती की गुंजाइश जरूर है।”
एक अन्य अधिकारी ने टिप्पणी की, “अगर भारत ऑटो बाजार अमेरिका के लिए खोल भी देता है, तो भी भारतीय ग्राहक अमेरिकी कारें नहीं खरीदेंगे, क्योंकि वे मारुति या कोरियाई-जापानी सस्ती कारों की तुलना में कहीं अधिक महंगी हैं।”
हाल ही में अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटकनिक ने सवाल किया था कि भारत एक बुशल भी अमेरिकी मक्का क्यों नहीं खरीदता। इस पर भारत सरकार ने स्पष्ट किया, “हमें अपने ग्रामीण गरीबों की सुरक्षा करनी है। बाकी सभी मुद्दों पर बातचीत संभव है।”
भारत-अमेरिका व्यापार में भारत का अधिशेष लगभग $45 अरब डॉलर है, जबकि अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा $295 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। भारत का प्रयास है कि अमेरिका से अन्य क्षेत्रों में आयात बढ़ाकर इस असंतुलन को कम किया जा सके।
भारत द्वारा अमेरिका को किए गए $87 अरब डॉलर के कुल निर्यात में केवल $4.4 अरब डॉलर कृषि उत्पादों से संबंधित हैं। शेष अधिकांश निर्यात गैर-कृषि उत्पादों के हैं। इनमें $9 अरब डॉलर की जेनेरिक दवाओं को पहले ही टैरिफ से छूट प्राप्त है। अब भारत गैर-जेनेरिक फार्मा और अन्य गैर-कृषि क्षेत्रों में भी टैरिफ में कटौती पर विचार कर रहा है।
यह वार्ता संभावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है, जिसकी घोषणा वर्ष के अंत तक हो सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने ट्रिब्यून से कहा, “सब कुछ चर्चा में है और कुछ भी अभी तय नहीं है। हमारा प्रयास ऐसा समझौता करना है जो निष्पक्ष, सम्मानजनक और संतुलित हो।”
मुख्य बिंदु
भारत कृषि क्षेत्र को संवेदनशील मानते हुए 0–150% तक टैरिफ लगाता है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर 70 करोड़ लोग निर्भर, अधिकांश निम्न आय वर्ग से।
भारत अमेरिका से तेल, गैस, मेडिकल उपकरण और मशीनरी की खरीद बढ़ा सकता है।
अमेरिका से ऑटो और गैर-जेनेरिक फार्मा उत्पादों पर टैरिफ कटौती पर सहमति संभव।
भारत का व्यापार अधिशेष अमेरिका के साथ $45 अरब डॉलर; चीन के मुकाबले काफी कम।
निष्पक्ष, दोतरफा लाभकारी व्यापार समझौते की दिशा में वार्ता प्रगति पर।