मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

Himachal News : सुक्खू सरकार का ऐलान, करूणामूलक वालों को देगी एकमुश्त नौकरी

05:04 PM Mar 26, 2025 IST
featuredImage featuredImage
फाइल फोटो

ज्ञान ठाकुर/शिमला, 26 मार्च

Advertisement

Himachal Pardesh News : राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के एक फैसले के कारण जिन लोगों को अतिक्रमण की गई जमीन से हटाया जा रहा है, उन्हें राहत पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार इस मामले में प्रभावितों को राहत के लिए अदालत में एक आवेदन दायर करेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार हाईकोर्ट के आदेशों के खिलाफ नहीं जा सकती और प्रभावितों को सुप्रीम कोर्ट खुद जाना होगा।

राजस्व मंत्री ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों के कारण प्रभावित लोग एफआरए-2006 का फायदा उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार एफआरए-2006 के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश में कार्यशालाओं का आयोजन करेगी। उन्होंने कहा कि ये कार्यशालाएं मंडलीय स्तर पर चार-चार जिलों के लिए एक साथ आयोजित होंगी। उन्होंने कहा कि इस एक्ट के मुताबिक वन भूमि पर किए गए अतिक्रमण को भी नियमित करने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत फारेस्ट ड्वेलर्स भी फायदा उठा सकते हैं।

Advertisement

राजस्व मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने एफसीए कानून 1980 में संशोधन की मांग को लेकर बीते साल ही विधानसभा से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा है। उन्होंने कहा कि वन भूमि पर अतिक्रमण के प्रदेश में कई ऐसे मामले हैं, जिनमें बंदोबस्त भी हो चुका है। उन्होंने कहा कि एफसीए-1980 में छूट की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 1996 से लंबित मामले में प्रदेश सरकार पार्टी बनने के लिए आवेदन करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को नियमित करने के लिए 50 रुपए के फार्म पर जो आवेदन लिए हैं, उनके कारण प्रदेश में 1.63 लाख कब्जाधारी हैं और इन आवेदनों के कारण अब इन कब्जाधारियों को टीडी सहित कई अन्य सुविधाओं से वंचित होना पड़ा है।

इससे पूर्व, विधायक संजय रतन ने मामला उठाते हुए कहा कि हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा पारित एक आदेश में प्रदेश में वन भूमि पर हुए तमाम अतिक्रमणों को 31 मार्च से पहले हटाने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस आदेश के खिलाफ कुछ प्रभावशाली लोग तो सुप्रीम कोर्ट गए हैं और उन्हें राहत भी मिली है, लेकिन गरीब लोग वहां तक नहीं पहुंच पाए और अब ये लोग हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक उजड़ने के कगार पर पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र की खुंडियां तहसील में 80 फीसदी जमीन वन भूमि है। ऐसे में यहां तीन-तीन पीढ़ियों से बसे लोगों को भी उनके घरों को तोड़कर बेदखल किया जा रहा है, जो सही नहीं है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की कि जब तक इन अतिक्रमणों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आ जाता, तब तक अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को सरकार रोके और अपने विवेक का इस्तेमाल करे।

हिमाचल प्रदेश में काम करने वाली एजेंसियों के लिए मैकेनिज्म तैयार करेगी सरकार: विक्रमादित्य सिंह

लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि प्रदेश में जो भी बाहरी एजेंसियां काम कर रही हैं, उनके लिए सरकार एक मैकेनिज्म तैयार करेगी ताकि लोगों को राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में मुख्यमंत्री से भी बात करेंगे। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि प्रदेश के हक की लड़ाई लड़ने के लिए अगर सरकार को कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाना पड़ा तो सरकार ऐसा करेगी। उन्होंने दुख जताया कि प्रदेश में अगर कहीं पर भी पुल या सड़कों का निर्माण करना है तो पहले बीबीएमबी और एनएचएआई जैसी एजेंसियों से अनुमति लेनी पड़ती है, क्योंकि उनके कब्जे में प्रदेश की बहुत अधिक जमीन है।

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि जिस तरह की समस्या इस समय शिमला-मटौर फोरलेन के निर्माण के दौरान स्थानीय लोगों को अपने रास्तों और सड़कों को लेकर झेलनी पड़ रही है, उसी तरह की समस्या कालका-शिमला फोरलेन में भी लोगों को हुई हैं। उन्होंने माना कि इन फोरलेन सड़कों के निर्माण के कारण स्थानीय लोगों की सड़कें और रास्ते बहुत अधिक प्रभावित हुए हैं।

इससे पूर्व, विधायक संजय रतन ने शून्यकाल के दौरान शिमला-मटौर फोरलेन सड़क के निर्माण के दौरान ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र की देहरियां पंचायत से लेकर नादौन-दो तक कई जगह एनएचएआई ने फोर लेन सड़क को 50 से 70 फीट तक गहरा खोदकर बनाया है। इस कारण ठाणा और देहरियां गांव के लिए कोई सड़क नहीं बची है। संजय रतन ने कहा कि जब इस मामले पर एनएचएआई के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनकी डीपीआर में ऐसे गांवों के लिए सड़क या पुल का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि इन गांवों को बीते छह माह से कोई सड़क ही नहीं है और इस कारण लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें घर जाने के लिए रास्ता भी नहीं बचा है। संजय रतन ने कहा कि उन्होंने प्रभावित लोगों को बोल दिया है कि यदि फोर लेन वाले उनका रास्ता बनाकर नहीं देते तो वह धरना देकर फोर लेन का कार्य बंद करवा दें।

मिल्क सेस से नहीं हुई ज्यादा आय: उप मुख्यमंत्री

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बुधवार को बिजली के बिलों में लगाए गए दूध और पर्यावरण सेस के मामले पर सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच नोक-झोंक हुई। इस दौरान दोनों तरफ से एक-दूसरे पर कटाक्ष भी किए गए। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश में लोकहित के दृष्टिगत दूध आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए तथा पर्यावरण सुरक्षा के लिये विद्युत उपभोग पर उपकर (सेस) लगाए गए हैं। इससे कोई ज्यादा आय नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि बिजली बिलों में सेस जोड़ने का एकमात्र कारण केवल राज्य में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना तथा पर्यावरण सुरक्षा है। मुकेश अग्निहोत्री प्रश्नकाल के दौरान विधायक भुवनेश्वर गौड़ के मूल सवाल का जवाब दे रहे थे।

अग्निहोत्री ने कहा कि मिल्क और पर्यावरण सेस, ऊर्जा की खपत के आधार पर वर्गीकृत उपभोक्ताओं की विभिन्न श्रेणियों पर लगाए गए हैं। होटल तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठान कमर्शियल श्रेणी में आते हैं जिस पर दुग्ध और पर्यावरण सेस 10-10 पैसे प्रति यूनिट लगाया गया है। उन्होंने कहा कि आम लोगों पर इसका कोई भार नहीं पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इसे प्रदेश के विकास में सक्रिय योगदान के रूप में देखा जाना चाहिए।

मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि भाजपा ने अपने शासनकाल में मंदिरों की आय का 15 फीसदी हिस्सा गोवंश के लिए रखा था। इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच नोक-झोंक भी हुई। उन्होंने कहा कि लोगों को सस्ती बिजली मिले, उसके लिए 1555 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई है। इसके अलावा पर्यटन उद्योग को भी 44.5 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई है।

विधायक भुवनेश्वर गौड़ ने पूछा कि मनाली में होटल मालिकों को जनवरी माह में भारी भरकम बिल आए हैं, जबकि जनवरी माह में होटल खाली रहते हैं। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि बिल ज्यादा आ रहा है तो उपभोक्ता इसकी शिकायत इलेक्ट्रिसिटी रिड्रेसल फोरम पर कर सकता है।

वहीं, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि यदि सेस लगाने के बाद भी आय नहीं हो रही है तो ये सेस क्यों लगाए हैं। उन्होंने कहा कि होटल उद्योग को इसके दायरे से बाहर करना चाहिए, क्योंकि उन पर इसका भारी भार है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार को तो तीन सौ यूनिट बिजली फ्री देनी थी और उसे कब तक देनी है। उन्होंने कहा कि मंदिरों का जो पैसा है, वह श्रद्धा से देते हैं। उसे सेस से नहीं जोड़ना नहीं चाहिए।

छुट्टी के दिन बस न चलाने वाले ऑपरेटरों के रद्द होंगे परमिट: अग्निहोत्री

उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि यदि कोई निजी बस ऑपरेटर छुट्टी के दिन अपने रूट पर बस नहीं चलाएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और परमिट भी रद्द कर दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह मामला गंभीर है कि जब छह दिन मुनाफा होता है तो बसें चलाई जाती हैं और जब सवारियां नहीं होता तो बसें नहीं चलाई जाती। वे प्रश्नकाल के दौरान विधायक रघुबीर सिंह बाली के सवाल का जवाब दे रहे थे।

रघुवीर सिंह बाली ने नगरोटा बगवां क्षेत्र के चंगर क्षेत्र का मामला उठाया और कहा कि यह उनके विधानसभा क्षेत्र का दूरदराज का क्षेत्र है और बसें न चलने से लोगों को परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि निजी बस ऑपरेटर छुट्टी के दिन कोई बस नहीं चलाते। उनकी मांग है कि हर दिन तय समय पर बसें चलनी चाहिए और लोगों को सुविधा मिलनी चाहिए। विधायक लोकेंद्र कुमार, सुरेश कुमार, सुरेंद्र शौरी, डॉ. हंसराज, सुदर्शन बबलू, रंजीत सिंह राणा और पवन कुमार काजल ने भी अपने-अपने सवाल पूछे।

करूणामूलक वालों को एकमुश्त नौकरी देगी सुक्खू सरकार

हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार राज्य में करूणामूलक आधार पर नौकरी के लिए पात्र लोगों को एकमुश्त नौकरी देगी। यह घोषणा उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बुधवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान की। उन्होंने कहा कि करूणामूलक आधार पर नौकरी देने के लिए गठित कैबिनेट की सब कमेटी 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट प्रदेश मंत्रिमंडल को देगी। उन्होंने कहा कि करूणामूलक आधार पर नौकरी देने का मामला फाइनल स्टेज पर है।

विधायक सतपाल सिंह सत्ती और सुरेंद्र शौरी के मूल प्रश्न के उत्तर में उप मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न विभागों में 31 अक्टूबर 2024 तक करूणामूलक आधार पर रोजगार के कुल 1839 मामले लंबित हैं। उन्होंने कहा कि करूणामूलक आधार पर रोजगार के लिए मामलों से सम्बन्धित संशोधित दिशानिर्देश 07 मार्च 2019 को पूर्व भाजपा सरकार ने जारी किए थे। यही नियम आज दिन तक चल रहे हैं। वर्तमान नीति के अनुसार विभिन्न विभागों में कुल 2524 मामले अस्वीकृत किए गए हैं।

अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार करूणामूलक आधार पर रोजगार देने को प्रतिबद्ध है और जल्द रोजगार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार चुनावी वादों के मुताबिक कार्य कर रही है और सभी के केस कंसीडर कर समयबद्ध नौकरी देगी। उन्होंने कहा कि पेंशन आय का हिस्सा है और उसे नौकरी देने के मापदंडों में जोड़ा जाता है, क्योंकि सरकारी कोष से धन जारी हुआ है। इसी मुद्दे पर विपक्ष के आरोपों पर अग्निहोत्री ने कहा कि करूणामूलक का मुद्दा बहुत जल्द विपक्ष से छिनने वाला है।

वहीं, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि उनकी अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी की दो बैठकें हो भी चुकी हैं। यह कैबिनेट सब कमेटी 15 अप्रैल से पहले अपनी रिपोर्ट सरकार को दे देगी। इस संबंध में विधायक रणधीर शर्मा और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी प्रतिपूरक सवाल पूछे।

Advertisement
Tags :
Dainik Tribune Hindi NewsDainik Tribune newshimachal newsHimachal PardeshHimachal Pradesh NewsHindi Newslatest newsMukesh AgnihotriRevenue Minister Jagat Singh NegiSukhu GovernmentSukhvinder Singh SukhuVikramaditya Singhदैनिक ट्रिब्यून न्यूजहिंदी समाचारहिमाचल प्रदेश