Haryana News: ये है मानावली गांव का डेरा, जहां है आध्यात्मिकता ज्ञान से लेकर अत्याधुनिक लाइब्रेरी तक
फतेहाबाद, 23 मार्च (मदन लाल गर्ग/हप्र)
Haryana News: हरियाणा का आध्यात्मिकता के क्षेत्र में विशेष स्थान है। विश्वप्रसिद्ध गीता का ज्ञान भी इसी धरती पर दिया गया था। प्रदेश में मठ, मंदिरों और डेरों का अपना अनूठा इतिहास है। जब इन डेरों को आध्यात्मिकता के साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास से जोड़ा जाता है, तो इनकी महत्ता और भी बढ़ जाती है। ऐसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया है जूना अखाड़ा के मानावली गांव स्थित डेरे के गद्दीनशीं नाथ राजेश गिरी ने।
इस डेरे में स्कूली बच्चों के लिए वातानुकूलित कंप्यूटराइज्ड लाइब्रेरी स्थापित की गई है, जहां छात्र इंटरनेट के माध्यम से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, डेरे में व्यायामशाला, खेल स्टेडियम, योगशाला और चिल्ड्रन पार्क भी बनाया गया है, जिससे गांव के बच्चों को समुचित सुविधाएं मिल रही हैं।
गांव से करीब 21 फुट ऊंचाई पर तालाब किनारे स्थित यह डेरा चारों ओर रंग-बिरंगे फूलों से सुशोभित है। यहां लगभग 200 प्रकार के फूल लगे हैं, जिनकी देखभाल स्वयं राजेश गिरी महाराज और ग्रामीण बच्चे करते हैं।
वार्षिक मेले और खेल प्रतियोगिताएं
हर वर्ष माघ शुक्ल द्वादशी को डेरे में विशाल मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें आसपास के गांवों से हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस अवसर पर कबड्डी और कुश्ती प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, जिसमें हरियाणा और पंजाब के खिलाड़ी भाग लेते हैं। विजेताओं को डेरे की ओर से नकद पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया जाता है।
गांव के बुजुर्गों कौर सिंह फौजी, पूर्व सरपंच महेंद्र सिंह, रामेश्वर और लीलू राम ने बताया कि गांव में राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन डेरे के प्रति सभी में समान आस्था है।
जोधपुरी निर्माण शैली से बना समाधिस्थल
डेरे में जोधपुरी पद्धति से निर्मित समाधिस्थल भी है, जिसे जोधपुर के कुशल कारीगरों ने बिना लोहे और सीमेंट के केवल पत्थरों से बनाया है। यह समाधिस्थल 2400 स्क्वायर फीट में फैला हुआ है और इसकी गोलाकार छत पत्थरों को आपस में जोड़कर बनाई गई है।
विदेशी विद्यार्थी भी आते हैं आध्यात्मिक यात्रा पर
हाल ही में लंदन यूनिवर्सिटी से छह छात्रों का एक दल डेरे के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अध्ययन के लिए आया था। इस दल में नाइजीरिया, नेपाल और इंग्लैंड के छात्र एवं उनके प्रोफेसर शामिल थे।
ऐसे पड़ा मानावली नाम
गांव के बुजुर्गों के अनुसार, इस क्षेत्र की भूमि ठाकुर मान सिंह की थी, जिनके नाम पर गांव का नाम 'मानावली' रखा गया।