मृत्यु से जीवन तक: फोर्टिस मोहाली में पहला ड्यूल किडनी ट्रांसप्लांट सफल
ब्रेन डेड मरीज के अंगदान से 62 वर्षीय व्यक्ति को नई जिंदगी, आंखें PGIMER को दान
चंडीगढ़, 4 अप्रैल
कभी-कभी एक व्यक्ति का अंत, दूसरे के लिए जीवन का नया अध्याय बन जाता है। ऐसा ही एक उदाहरण फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली में देखने को मिला, जहां पहली बार मृत दाता (कैडेवर) से ड्यूल किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। यह ऐतिहासिक सर्जरी 73 वर्षीय ब्रेन डेड मरीज के अंगदान के बाद की गई, जिससे 62 वर्षीय व्यक्ति को नया जीवन मिला।
हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ निवासी 73 वर्षीय व्यक्ति को ब्रेन हेमरेज के कारण फोर्टिस मोहाली में भर्ती कराया गया था। पांच दिनों तक इलाज के बावजूद, डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। उनके परिवार ने अंगदान की सहमति दी, जिसके बाद ब्रेन डेथ कमेटी द्वारा आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी की गईं।
फोर्टिस मोहाली के डॉक्टरों ने मृत व्यक्ति की दोनों किडनियां 62 वर्षीय मरीज को प्रत्यारोपित कीं, जो पिछले पांच वर्षों से क्रोनिक किडनी डिजीज से जूझ रहे थे और नौ महीनों से डायलिसिस पर थे। वहीं, मृतक की आंखें PGIMER, चंडीगढ़ को दान कर दी गईं।
किडनी फेलियर से जूझ रहे मरीज को मिला जीवन
ट्रांसप्लांट सर्जरी का नेतृत्व फोर्टिस मोहाली के विशेषज्ञ डॉक्टरों—डॉ. साहिल रैली (किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ), डॉ. अन्ना गुप्ता (रीनल साइंसेज विशेषज्ञ) और डॉ. मिलिंद मंडवार (लिवर ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ)—ने किया। सफल ऑपरेशन के बाद मरीज अब सामान्य जीवन जी रहा है और उसे डायलिसिस से भी छुटकारा मिल गया है।
अंगदान से बच सकती हैं लाखों जिंदगियां
डॉ. मिलिंद मंडवार ने बताया कि हर साल चार लाख से अधिक मरीज अंगों की कमी के कारण दम तोड़ देते हैं। इस मामले ने अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत को फिर से उजागर किया है। उन्होंने लोगों से अंगदाता के रूप में पंजीकरण करने और अपनी इच्छाओं को अपने परिवार से साझा करने की अपील की।