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समय पर जांच कर मिटाएं किडनी रोग के जोखिम

07:33 AM Nov 13, 2024 IST

डॉ.माजिद अलीम
डनी या गुर्दा शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। यह खून से विषाक्त पदार्थों को निकालने, शरीर के गैरजरूरी तरल को छानने, रक्तचाप नियंत्रित करने व इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने का काम करता है। वैश्विक स्तर पर रिसर्च कार्यक्रम ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज’ (जीबीडी) के 2015 में किये गये एक अध्ययन के मुताबिक़, वैश्विक स्तर पर मौतों के कारणों में क्रोनिक किडनी रोग को 17वां स्थान हासिल है। हर साल दुनिया की प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर 19.2 मौतें किडनी फेलियर के चलते होती हैं। कई देशों में क्रोनिक किडनी रोग मृत्यु के शीर्ष पांच कारणों में से एक है, जबकि भारत में जीबीडी 2015 के मुताबिक़ हर आठवीं मौत का कारण किडनी फेलियर था। लेकिन लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में, भारत में गुर्दे की विफलता के कारण होने वाली मौतों की संख्या पर जो डेटा प्रस्तुत किया गया,उसमें साफ़ पता चलता है कि 2010 से 2013 के बीच 15 से 69 वर्ष समूह में होने वाली सभी मौतों में से करीब 3.04 प्रतिशत का कारण किडनी का फेलियर था, जो 2001-03 के मुकाबले 50 प्रतिशत ज्यादा था। भारत में किडनी की विफलता से होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण मधुमेह है, साथ ही यह भी पाया गया कि किडनी की विफलता से होने वाली मृत्युदर में देश के अलग अलग हिस्सों में काफी अंतर था। मसलन जीबीडी के निष्कर्षों में आंध्रप्रदेश, मध्य ओडिशा, पुडुचेरी और महाराष्ट्र को गुर्दे की बीमारी के लिए ‘हॉटस्पॉट’ माना गया है, लेकिन किसी दूसरे स्वतंत्र अध्ययन से इसकी पुष्टि नहीं हुई।

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एम्स रिपोर्ट में खुलासा : बड़ी आबादी प्रभावित
आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (एम्स) की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत की कुल आबादी में से करीब 10 फीसदी लोग किडनी की विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं,जिसमें से 7 प्रतिशत लोगों की किडनी खराब होने की वजह पेन किलर है। चूंकि किडनी शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों में योगदान देती है, जिनमें हड्डियों का स्वास्थ्य, रक्त निर्माण और हार्मोन संतुलन भी शामिल हैं। ऐसे में अगर किडनी ठीक से काम नहीं करती, तो शरीर में विषाक्त पदार्थ इकट्ठे होने लगते हैं, जिससे जल्द ही कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं, जैसे कि किडनी फेल्योर, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट संबंधी समस्याएं।

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सीधा रिश्ता लाइफस्टाइल से
हमारी किडनी के स्वास्थ्य का सीधा रिश्ता हमारी लाइफस्टाइल से है। खराब खानपान, धूम्रपान, अत्यधिक शराब पीना, एक्सरसाइज न करना और अत्यधिक दवाइयों का सेवन जैसी हमारी आदतें किडनी फेलियर के लिए आमतौर पर जिम्मेदार होती हैं। हाई ब्लड शुगर या ब्लड प्रेशर जैसी स्थितियां भी किडनी को प्रभावित करती हैं। वास्तव में भारत में बढ़ते डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर के मामलों ने किडनी फेलियर के खतरे को काफी ज्यादा बढ़ा दिया है।

समय पर पहचान की जरूरत
इन सब वजहों के चलते भारत में किडनी रोग एक बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या है। हर साल लगभग दो लाख से ज्यादा लोग किडनी फेल्योर का शिकार होते हैं,जबकि देश में डायलिसिस और ट्रांसप्लांटेशन की सुविधाएं सीमित हैं। किडनी संबंधित बीमारियां आमतौर पर तब तक पहचान में नहीं आतीं, जब तक कि उनकी स्थिति गंभीर न हो जाए, जिससे उनकी रोकथाम और इलाज कठिन हो जाता है।

दर्द निवारकों से करें तौबा
बिना डॉक्टर के परामर्श के कभी भी दवाइयों का सेवन न करें,पेन किलर तो साफ़ तौरपर नहीं। दर्द निवारक दवाओं का अत्यधिक सेवन तथा बिना डॉक्टर की सलाह एंटीबायोटिक्स खाना किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। साथ ही नियमित किडनी चेकअप भी जरूरी है। अगर परिवार में किडनी रोग का इतिहास है, तब तो नियमित ही जांच करवाएं। इससे शुरुआती स्तर पर समस्या का पता चल सकता है और समय पर इलाज संभव है। अगर इन सावधानियों को अपनाएं तो हम अपनी किडनी से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को कम कर सकते हैं। -इ.रि.सें.

ऐसे रखें सेहतमंद

किडनी को स्वस्थ रखने का आसान तरीका है कि हम अपने खानपान को संतुलित रखें। इसके लिए हमारे दैनिक आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा की संतुलित मात्रा होनी चाहिए। अत्यधिक तला-भुना, प्रोसेस्ड फूड और ज्यादा नमक के सेवन से बचें; क्योंकि ये सब किडनी पर दबाव डालते हैं। फलों, सब्जियों और साबुत अनाजों को दैनिक आहार में शामिल करना चाहिए।
पर्याप्त पानी पीएं शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए पर्याप्त मात्रा में साफ़ पानी पीना आवश्यक है। हालांकि, जरूरत से ज्यादा पानी पीने के भी नुकसान हैं, इसलिए अपनी शारीरिक आवश्यकताओं के अनुसार ही पानी पीएं। साथ ही ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें; क्योंकि ये दोनों किडनी फेलियर के प्रमुख कारण हैं। इसलिए जरूरी है कि नियमित रूप से ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर की जांच कराएं और डॉक्टर द्वारा सुझाए गए आहार और दवाओं का सेवन करें।
धूम्रपान, एल्कोहल और मोटापा धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन किडनी को नुकसान पहुंचाता है। इन दोनों के इस्तेमाल से से किडनी में रक्त संचार प्रभावित होता है, नतीजतन शरीर के विषाक्त पदार्थ ठीक से निकल नहीं पाते। वहीं किडनी सही रखनी है तो वजन को नियंत्रित रखें। क्योंकि मोटापा भी किडनी रोगों का एक बड़ा कारण है। नियमित व्यायाम करना और सक्रिय रहना भी जरूरी है।

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