मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

आर्थिकी के साथ सेहत में भी योगदान

06:34 AM Sep 02, 2023 IST

चेतनादित्य आलोक

Advertisement

एशियाई और प्रशांत नारियल समुदाय यानी एपीसीसी के गठन के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष दो सितंबर को विश्व नारियल दिवस का आयोजन किया जाता है। एशियाई और प्रशांत नारियल समुदाय एक अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन है, जिसमें एशियाई-प्रशांत क्षेत्रों के नारियल उत्पादक देश शामिल हैं। इस संगठन का उद्देश्य नारियल उत्पादक देशों के मध्य समन्वय एवं सामंजस्य स्थापित करना, नारियल के विभिन्न उत्पादों एवं उपयोगों तथा नारियल उद्योग से जुड़ी तमाम गतिविधियों को विश्व स्तर पर बढ़ावा देना है। इस संगठन की स्थापना को लेकर सर्वप्रथम बैंकॉक में 12 दिसंबर, 1968 को एक प्रस्ताव लाया गया था, जिस पर भारत, इंडोनेशिया और फिलीपींस के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किये थे। प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद दो सितंबर 1969 को यह संगठन अस्तित्व में आया। हालांकि, विश्व नारियल दिवस मनाने की घोषणा इसकी ओर से साल 2009 में की गयी, जिसके बाद प्रथम विश्व नारियल दिवस उसी वर्ष दो सितंबर को मनाया गया और तब से प्रत्येक वर्ष इसका आयोजन किया जाता है।
एपीसीसी के गठन से पहले इस संगठन को ‘एशियन कोकोनट सी’ के नाम से जाना जाता था, परंतु धीरे-धीरे जब नारियल एवं इसके उत्पादों की लोकप्रियता बढ़ने लगी, और इसके उत्पादक देशों में एशियन कोकोनट सी के प्रति रुझान बढ़ने लगा, तब एशिया महाद्वीप से बाहर के नारियल उत्पादक देशों ने इस संगठन में शामिल होने की इच्छा प्रकट की, जिसके बाद इसका नाम बदलकर एशियन एंड पैसिफिक कोकोनट कम्युनिटी अर्थात‍् एशियाई और प्रशांत नारियल समुदाय कर दिया गया। इस संगठन का मुख्यालय इसके संस्थापक सदस्य देश इंडोनेशिया के जकार्ता में स्थित है। इसके सदस्यों में भारत सहित एशिया और प्रशांत क्षेत्रों के सभी प्रमुख नारियल उत्पादक देश शामिल हैं, जो दुनिया के कुल नारियल उत्पादन का लगभग 90 प्रतिशत नारियल उत्पादित करते हैं। एपीसीसी के सदस्य देश ही दुनिया भर में नारियल की आपूर्ति करते हैं।
नारियल उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगने वाला शानदार फल है। इसकी खेती प्रायः नमकीन मिट्टी में समुद्र के किनारे की जाती है। सर्वाधिक नारियल उत्पादन वाला देश होने का गौरव तो इंडोनेशिया को प्राप्त है, जबकि भारत इस मामले में आज भी दुनिया में तीसरे स्थान पर कायम है। इनके अतिरिक्त मलेशिया, मार्शल आइलैंड, पपुआ न्यू गिनिया, किरिबाटी, फिलीपिंस, समोआ, सोलोमन आइलैंड, श्रीलंका, थाइलैंड, टोंगा, वनोतु, वियतनाम, जमैका, केन्या, फेडरेटेड स्टेट्स ऑफ माइक्रोनेशिया और फिजी भी प्रमुख नारियल उत्पादक देशों में शामिल हैं। वहीं भारत और इंडोनेशिया के अतिरिक्त ब्राजील, फिलीपींस और श्रीलंका सबसे अधिक नारियल उत्पादन करने वाले देश माने जाते हैं। भारत के दक्षिणी राज्यों केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में नारियल की सघन खेती की जाती है। देश में नारियल के कुल उत्पादन का 90 प्रतिशत नारियल इन चारों राज्यों से ही प्राप्त किया जाता है।
नारियल को विज्ञान की भाषा में ‘कोकस न्यूसिफेरा’ कहते हैं। यह पाम फैमिली का एक अत्यंत उपयोगी, स्वादिष्ट एवं स्वास्थ्यवर्द्धन में सहयोगी मांसल फल है। अनेक गुणों की खान नारियल इलेक्ट्रोलाइट्स और लॉरिक एसिड का एक समृद्ध स्रोत है। जीवाणुरोधी, एंटी-फंगल और एंटीवायरल गुणों से भरपूर नारियल में कई एंटीऑक्सीडेंट्स भी पाये जाते हैं। इसमें पाये जाने वाले प्रमुख पोषक तत्वों में मैंगनीज, जिंक, कॉपर, वेलिन, लौह तत्व एवं कार्बोहाइड्रेट हैं, जिनका प्रतिशत क्रमश: 52.17, 8, 38.67, 7.60, 24.20 एवं 9.37 होता है। यही नहीं, नारियल का प्रत्येक भाग उपयोगी होता है, चाहे इसका पानी हो या तेल, दूध हो अथवा भूसी। नारियल के भीतरी कोमल सफेद भाग, इसके तेल, दूध और पानी का उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में तथा इसके मक्खन, क्रीम और तेल का उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों के रूप में किया जाता है। इनके अतिरिक्त नारियल की भूसी और पत्तियों का उपयोग डोरमैट, छत और झोपड़ी आदि बनाने के लिए किया जाता है।
नारियल की खेती से लगभग एक करोड़ भारतीयों को रोजगार प्राप्त होता है। इससे बनी वस्तुओं के निर्यात से हमारे देश को प्रत्येक वर्ष लगभग 470 करोड़ रुपये की आय होती है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। नारियल को भारत में एक पवित्र फल माना जाता है। इसका उपयोग भगवान की पूजा समेत विविध आयोजनों एवं धार्मिक कर्मकांडों में भी किया जाता है। इस दृष्टि से तो विश्व नारियल दिवस के आयोजन का एक प्रमुख उद्देश्य इस फल के बहुआयामी उपयोगों के प्रति जागरूकता फैलाना तथा उद्योगों के लिए कच्चे माल के रूप में उपयोग किये जाने को प्रोत्साहन देना भी है, ताकि नारियल आधारित उद्योगों एवं इसका उत्पादन करने वाले किसानों को अधिकाधिक लाभ प्राप्त हो सके। विश्व नारियल दिवस के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष एपीसीसी द्वारा एक थीम का निर्धारण किया जाता है, जिसके अनुसार ही प्रायः लोग इस दिन नारियल आधारित पार्टियों का आयोजन करते हैं। इस वर्ष विश्व नारियल दिवस का थीम ‘सस्टेनिंग कोकोनट सेक्टर फॉर द प्रेजेंट एंड फ्यूचर जनरेशन’ यानी ‘वर्तमान और भावी पीढ़ी के लिए नारियल क्षेत्र को कायम रखना’ है।

Advertisement
Advertisement