राम-दर्शन के मूल्यों में निहित कार्पोरेट में सफलता के सूत्र
कार्पोरेट जगत में कार्यरत युवा पेशेवरों को कैरियर में कामयाबी हासिल करनी है तो प्रबंधन में कुशलता हासिल करना जरूरी है। इसके लिए उनमें दूरदर्शी नेतृत्व के साथ ही अपनी टीम और संसाधनों का बेहतरीन उपयोग, धैर्य, सही कार्य विभाजन व मजबूत नेटवर्किंग के गुण होने चाहिये। भगवान राम का व्यक्तित्व ऐसे सभी गुणों से लैस था। युवा पेशेवर कार्पोरेट में सफलता के सूत्र उनके जीवन से सीख सकते हैं।
लोकमित्र गौतम
भगवान राम न सिर्फ मर्यादा पुरुषोत्तम और नैतिक मूल्यों के प्रतीक हैं बल्कि उनके व्यक्तित्व में प्रबंधन के ऐसे गुण मौजूद हैं, जिन्हें सीखकर कोई भी युवा आज अपने कार्पोरेट कैरियर में सफलता हासिल कर सकता है। आइये जानें कि रामजी से आज के कार्पोरेट जगत में सफलता की राह देख रहे युवा कौन-कौन से सूत्र सीख सकते हैं।
विज़नरी लीडरशिप
भगवान राम न सिर्फ शक्तिवान हैं बल्कि वह एक मजबूत सेनापति और टीम लीडर भी हैं। राम-रावण युद्ध को अगर संसाधनों के नजरिये से देखें तो कोई समानता नहीं थी। रावण के पास अपार सेना और युद्ध के सारे संसाधन थे, लेकिन जिस तरह भगवान राम अपनी थोड़ी सी वानर सेना का उच्चस्तरीय प्रबंधन करते हुए रावण की विशाल और मजबूत सेना को हरा देते हैं, उसमें विजनरी लीडरशिप के कई तत्व छिपे हुए हैं। वास्तव में रामजी ने अपनी संगठन क्षमता की बदौलत ही लंका विजय हासिल की थी। कार्पोरेट जगत में युवा अपनी टीम को स्पष्ट दृष्टि देने के लिए भगवान राम से यह गुण सीख सकते हैं कि किस तरह अपनी टीम को प्रेरित किया जाए और कैसी रणनीति से सफलता सौ फीसदी हासिल की जाए?
कार्य का सही विभाजन
भगवान राम जानते थे कि लंकापति रावण के साथ लड़ाई लड़ने के लिए उनकी सेना और संसाधन दोनों ही सीमित हैं, इसलिए वह बहुत चतुराई से अपने थोड़े से लोगों में इस तरह काम का विभाजन करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा नतीजा हासिल हो। वे लंका के विरुद्ध लड़ाई में लक्ष्मण, हनुमान, सुग्रीव और विभीषण को उनकी क्षमता के मुताबिक जिम्मेदारियां सौपते हैं। हनुमान जी को सीता की खोज के लिए भेजते हैं और विभीषण को लंका की नीति समझने की जिम्मेदारी सौंपते हैं। भगवान राम ने कोई भी काम अकेले नहीं किया, सब कामों में और विचारों में अपने सहयोगियों का साथ हासिल किया है। कार्पोरेट टीम लीडरशिप के लिए अपने साथियों की अधिकतम क्षमताओं का प्रयोग करने के लिए कार्य विभाजन आना चाहिए। यह गुण युवा भगवान राम से सीख सकते हैं।
नेटवर्किंग और रणनीति
व्यापार और कैरियर में सफलता के लिए मजबूत नेटवर्किंग और सही साझेदारों की पहचान आवश्यक होती है। आज के प्रतिस्पर्धाभरे बाजार में यह पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गया है। आज के यह बहुमूल्य गुण भगवान राम से सीख सकते हैं। उन्होंने हमेशा सही लोगों से मजबूत और विश्वसनीय संबंध बनाएं। भगवान राम ने रावण से युद्ध के लिए सुग्रीव, हनुमान और विभीषण जैसे सहयोगियों की न केवल मदद ली बल्कि उस मदद को अधिकतम उपयोगी बनाने के लिए सटीक तौर पर नेटवर्किंग और रणनीतिक प्रबंधन का सहारा लिया।
धैर्य और आत्मविश्वास
क्षेत्र कोई भी हो, सफलता के लिए जरूरी है कि हममें धैर्य और आत्मविश्वास हो। खासकर जो युवा स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं, उन्हें जिस तरह बाजार की प्रतिस्पर्धा से गुजरना पड़ता है, उसमें धैर्य और आत्मविश्वास बहुत काम आता है। चाहे आप कितनी तीक्ष्ण बुद्धि के हों, आपमें अपनी रणनीति के सफल होने के लिए धैर्य रखने की क्षमता होनी चाहिये। भगवान राम ने कभी भी धैर्य और आत्मविश्वास का साथ नहीं छोड़ा। रामजी ने अपनी जिंदगी में कोई निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया। उन्होंने लंका पर आनन-फानन में हमला नहीं किया। हर कदम को उठाने के पहले जरूरी धैर्य दिखाया। लंका पर आक्रमण के पहले राम ने कोशिश की थी कि रावण के साथ बिना लड़े बात बन जाए, लेकिन बातचीत की कोशिश करने के दौरान ही वह अपनी वानर सेना को भी मजबूत करते रहे। रावण के हर कदम को अच्छी तरह से जानने के बाद ही उन्होंने युद्ध का ऐलान किया। आज के स्टार्टअप्स कल्चर में भी इस धैर्य की बहुत जरूरत पड़ती है।
अनुशासन और प्रबंधन
अनुशासन किसी भी युवा के कदमों में सफलता डाल सकता है। इसके विपरीत यदि आपमें अनुशासन की कमी है, तो चाहे जितने भी टैलेंटेड हों, जरूरी नहीं है कि आपको सफलता मिलेगी। भगवान राम ने 14 साल के वनवास को पूरे अनुशासन के साथ पूरा किया। हमारे युवाओं को भी भगवान राम की तरह ही अपनी ड्यूटी में अनुशासित रहना रहना चाहिए, क्योंकि बिना अनुशासन के कार्पोरेट जगत में सफलता नहीं मिलती। हर कंपनी अपने प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाती है, लेकिन इतनी जोर आजमाइश के बाद भी अगर प्रबंधन अनुशासित नहीं है, तो सफलता नहीं मिलती। भगवान राम से आज के युवाओं को सीखना चाहिए कि कैसे उन्होंने वनवास में रहते हुए भी अपने अनुशासन की बदौलत खुद को शक्तिशाली बनाया और इसी शक्ति की बदौलत उन्होंने लंकापति के विरुद्ध युद्ध में सफलता हासिल की।
इनोवेशन और प्रॉब्लम सॉल्विंग
कोई भी कार्पोरेट दिग्गज तब तक सफलता नहीं हासिल कर पाता, जब तक कि वह अपने क्षेत्र की समस्याओं को हल करने में माहिर न हो। समाधान में माहिर ही इन समस्याओं को नये-नये तरीकों से हल करना जानता है। युवा चाहें तो भगवान राम से इनोवेशन की महत्ता और समस्या के समाधान की विशिष्टता सीख सकते हैं। भगवान राम ने समुद्र पार करने के लिए सीधे-सीधे धनुष पर बाण चढ़ाकर समुद्र को रास्ता देने के लिए मजबूर नहीं किया बल्कि वह तीन दिनों तक विनम्रता से समुद्र से सहायता करने के लिए कहते रहे। जब समुद्र नहीं माना, तब श्रीराम ने अपने जबर्दस्त तेवर दिखाए और ऐसा करते ही समस्या हल हो गई। इसलिए हर युवा को अचानक से शॉर्टकट रास्ता नहीं अपनाना चाहिए। पहले नियमित रास्ते पर चलकर कार्पोरेट सफलता की सीढ़ियां चढ़नी चाहिए। अगर आपमें इनोवेशन और समस्या समाधान की क्षमता है तो आपको बहुत ज्यादा देर नहीं लगेगी, मैनेजमेंट की नजरों में खुद को स्मार्ट साबित करने के लिए।
नैतिकता और ईमानदारी
जमाना कोई भी हो, क्षेत्र कोई भी हो, बिना नैतिकता और ईमानदारी के सफलता नहीं मिलती। कार्पोरेट क्षेत्र में सफलता के लिए परेशान युवाओं को इस मामले में भी भगवान राम से एक बड़ी सीख मिलती है, वह यह कि सफलता के लिए कभी भी अनैतिक और गैरईमानदार नहीं होना चाहिए। भगवान राम ने हमेशा धर्म का पालन किया, इसलिए कभी भी वह सफलता से वंचित नहीं रहे। सीता हरण के बाद भी वो चाहते तो हनुमान जी से सीता जी को लंका से बड़ी आसानी से बुलवा लेते, लेकिन उन्होंने इसके लिए न्यायसंगत युद्ध किया। आज के युवा उनसे यह कार्पोरेट सूत्र सीख सकते हैं कि लॉन्ग टर्म सफलता के लिए कैसे नैतिक और ईमानदार बने रहना जरूरी होता है। -इ.रि.सें.