भ्रष्टाचार : आरोपी पंच-सरपंचों के पद छोड़ने के 6 साल बाद तक भी होगी जांच
चंडीगढ़, 20 मार्च (ट्रिन्यू)
पंचों-सरपंचों ने अब अगर विकास कार्याें में गोलमाल किया तो वे बच नहीं पायेंगे। आरोपी पंचायत प्रतिनिधि यदि पद छोड़ भी देता है तो पद छोड़ने के 6 साल बाद तक अब आरोपों की जांच हो सकेगी। अभी तक पद छोड़ने के दो साल बाद भ्रष्टाचार के आरोपिताें के खिलाफ जांच नहीं हो पाती थी, जिससे कई बार वे बच जाते थे।
बृहस्पतिवार को विधानसभा में हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) विधेयक पारित हुआ। विकास एवं पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा कि नया कानून बनने से पंचायत प्रतिनिधियों की जवाबदेही बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि विकास कार्यों में भ्रष्टाचार और पंचायती संपत्ति की हेराफेरी करने के आरोपी पंच-सरपंचों की जवाबदेही तय करने के लिए 1994 में बने पंचायती राज अधिनियम की धारा 53 की उपधारा (5) में संशोधन किया गया है।
पुराने कानून के अनुसार पंचायती कार्यों में भ्रष्टाचार होने की तारीख से 6 साल तक या फिर पंच-सरपंच के पद से हटने के दो साल तक, जो भी पहले होगा, उस अवधि तक कार्रवाई का प्रविधान था।
वहीं, नए कानून की बात करें तो गड़बड़ी होने की तारीख से 6 साल तक या फिर पंच-सरपंच के पद से हटने के दो साल तक, जो भी बाद में होगा, तब तक आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी। यानी अगर किसी पंच-सरपंच के कार्यकाल के अंतिम वर्ष में कोई हेराफेरी होती है या कोई घोटाला सामने आता है तो 6 साल तक उससे नुकसान की भरपाई की जा सकेगी।