पाठकों के पत्र
कूटनीतिक जवाब दें
बाईस मार्च के दैनिक ट्रिब्यून में देवेंद्र शर्मा का लेख ‘सब्सिडी कवच लैस अमेरिकी उत्पादों से व्यापार युद्ध’ भारत की दृष्टि से विश्लेषण करता है। डोनाल्ड ट्रंप ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत भारत को दबाव में डालते हुए अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ कम करने और कृषि उत्पादों के लिए भारतीय बाजार खोलने की मांग की है। यह भारतीय कृषि के लिए खतरनाक होगा, क्योंकि अमेरिकी कृषि को अत्यधिक सब्सिडी मिलती है, जिससे सस्ती वस्तुएं भारतीय बाजार में आएंगी और भारतीय उत्पादों को नुकसान होगा। भारत का कहना है कि उसने जो टैरिफ लगाए हैं, वह विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत हैं। भारत को कूटनीतिक तरीके से जवाब देना चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक
त्वरित न्यायिक प्रक्रिया हो
बाईस मार्च के दैनिक ट्रिब्यून के संपादकीय ‘नकली पर नकेल’ में हरियाणा सरकार द्वारा नकली बीजों और कीटनाशकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का उल्लेख किया गया है। टोहाना-सिरसा में नकली कीटनाशकों के छिड़काव से 60 एकड़ धान की फसल नष्ट हुई। हालांकि, अब जुर्माना गैर-जमानती और सजा तीन साल करने से समाधान नहीं होगा। इसके लिए लाइसेंस प्रणाली, औचक निरीक्षण, शिकायत निवारण तंत्र और त्वरित न्यायिक प्रक्रिया की आवश्यकता है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
ऐतिहासिक सफलता
दैनिक ट्रिब्यून में 20 मार्च को प्रकाशित ‘स्वागत सुनीता’ संपादकीय अत्यधिक प्रेरणादायक था। यह विज्ञान का चमत्कार है कि लगभग नौ माह बाद अंतरिक्ष में फंसे दोनों यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की सुरक्षित धरती पर वापसी संभव हुई। स्पेसएक्स और नासा के क्रू-9 मिशन के माध्यम से उनकी वापसी ऐतिहासिक है। यह सफलता विज्ञान जगत के लिए प्रेरणा का स्रोत है और भविष्य की अंतरिक्ष खोजों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी।
अमृतलाल मारू, इंदौर, म.प्र.