पत्र
पर्यावरण संरक्षण जरूरी
दैनिक ट्रिब्यून में अभिषेक कुमार सिंह के 10 दिसंबर के लेख ‘जलवायु बदलावों की गति थामने को जरूरी गंभीर पहल’ में जलवायु परिवर्तन के कारण मानव प्रजाति के विलुप्त होने का खतरा बताया गया है। इंसान ने पृथ्वी का अत्यधिक शोषण कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है, जिससे जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। पृथ्वी के वायुमंडल में पहले से ज्यादा जहरीली गैसें और गर्मी घुल गई हैं। कई पशु-पक्षी प्रजातियां लुप्तप्राय हो रही हैं, जंगल खत्म हो रहे हैं, और पानी की कमी हो रही है। प्रदूषण से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से सांस लेने में कठिनाई हो रही है। इसलिए, पर्यावरण संरक्षण अब अपरिहार्य है।
जयभगवान शर्मा, झज्जर
बाल विवाह के विरुद्ध
बाल विवाह एक गंभीर समस्या है, जो विशेषकर गरीब परिवारों में बढ़ रही है। 18 वर्ष की आयु तक 40 प्रतिशत लड़कियों का विवाह गरीबी और शिक्षा की कमी के कारण होता है। यह प्रथा स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालती है। कन्या विवाह की न्यूनतम आयु निर्धारित करने के बावजूद यह प्रथा जारी है। इस कुरीति को समाप्त करने के लिए सामाजिक जागरूकता, कानूनी अनुपालन, शैक्षिक संस्थानों में पाठ्यक्रम और मीडिया के सहयोग की आवश्यकता है। बाल-विवाह के विरुद्ध सख्त कदम उठाने होंगे।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
सेहत से खिलवाड़
डिब्बा बंद भोजन के शौकीन लोग जानबूझकर अपनी सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। यह भोजन मोटापा, हृदय रोग, गठिया और मधुमेह जैसे गंभीर रोगों का कारण बन रहा है। संपादकीय ‘बुढ़ापे को बुलावा’ में यह उल्लेख किया गया है कि डिब्बा बंद भोजन अब बड़ी उम्र के लोगों ही नहीं, बल्कि बच्चों और किशोरों में भी बीमारियों का कारण बन रहा है। पश्चिमी संस्कृति के अंधानुकरण से हमें बचना होगा। यह ताजे भोजन की तुलना में बासी ही होता है, और बासी भोजन से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बी. एल. शर्मा, तराना, उज्जैन