कैसे थमेगी यौन हिंसा
जन संसद की राय है कि विदेशी महिला पर्यटकों के साथ दुराचार की घटनाएं शर्मनाक हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए जहां समाज को जागरूक करना होगा, वहीं नई पीढ़ी को नैतिक शिक्षा के जरिये स्त्री गरिमा की रक्षा के लिए प्रेरित करना होगा।
मानसिकता बदलें
भारत में यौन हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, और सरकार के प्रयासों के बावजूद महिलाएं सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रही हैं। सरकार को महिलाओं को आत्मसुरक्षा के लिए अनिवार्य प्रशिक्षण देना चाहिए, ताकि वे किसी भी परिस्थिति में अपनी रक्षा कर सकें। इसके अलावा, पुरुष समाज को भी इस गंभीर अपराध के बारे में जागरूक करना आवश्यक है। केवल कानून और सुरक्षा के उपाय पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि समाज को भी मानसिक रूप से बदलने की जरूरत है। सरकार को यौन अपराधियों के लिए कड़ी सजा निर्धारित करनी चाहिए, ताकि अन्य लोगों में भय उत्पन्न हो और ये अपराध रुक सकें।
रवि बुंबक, कुरुक्षेत्र
नैतिक शिक्षा जरूरी
हाल ही में कर्नाटक के हंपी और दिल्ली में विदेशी महिलाओं के साथ हुई गैंगरेप की घटनाएं भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने वाली हैं। साथ ही हमारे ‘अतिथि देवो भव:’ की धारणा को झुठलाती हैं। इन घटनाओं के पीछे नैतिक शिक्षा की कमी, सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री और जीवन मूल्यों का गिरना है। संयुक्त परिवारों का समाप्त होना भी एक कारण है, जहां बुजुर्ग नैतिक शिक्षा देते थे। इन घटनाओं से विदेशी सरकारें भी नकारात्मक एडवाइजरी जारी कर सकती हैं। इसके लिए कड़ी सजा, सतर्कता और नैतिक शिक्षा का प्रसार आवश्यक है, ताकि मानसिकता में सुधार हो सके।
शामलाल कौशल, रोहतक
सही परवरिश आवश्यक
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में माता-पिता पैसे की दौड़ में व्यस्त रहते हैं, जिससे बच्चों को पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। एकल परिवारों के बढ़ने से बड़े-बुजुर्गों का साथ भी कम हो गया है, जो पहले बच्चों को सही संस्कार और नैतिक शिक्षा देते थे। स्कूलों में केवल अच्छे अंक प्राप्त करने पर जोर दिया जाता है, जबकि नैतिक शिक्षा और सही परवरिश की कमी बढ़ रही है। मीडिया और फिल्मों के असर से बच्चों में यौन हिंसक प्रवृत्तियां बढ़ रही हैं। ऐसे में बच्चों की सही परवरिश पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है, ताकि वे अच्छे और जिम्मेदार नागरिक बन सकें।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली
समाज सजग बने
यौन हिंसा का अंत तब ही संभव है जब समाज जागरूक हो और अपनी संस्कृति में बदलाव लाए। हमें शिक्षा को साधन बनाकर नन्हे मन में सम्मान, सहमति और समता का भाव जगाना होगा। कानून को और अधिक कठोर बनाना होगा। घर और विद्यालय में नैतिकता और संवेदनशीलता का संस्कार देना चाहिए। डिजिटल मंचों पर प्रेरक संदेशों का प्रचार कर तकनीक से भी इस परिवर्तन की दिशा में क्रांति लानी चाहिए। पुरुषों को केवल रक्षक नहीं, बल्कि परिवर्तन के संवाहक बनना होगा। एकता, साहस और संकल्प से इस अभिशाप को समाप्त किया जा सकता है।
आरके जैन, बड़वानी, म.प्र.
सामाजिक बहिष्कार
यौन हिंसा, अनधिकार चेष्टा का सबसे घृणित रूप है, और यदि समाज अपराधियों की प्रारंभिक कुचेष्टाओं को नजरअंदाज करता है, तो वह उन्हें बलात्कार जैसे गंभीर अपराध करने को बढ़ावा देता है। इसलिए महिलाओं, किशोरियों और बच्चियों से छेड़छाड़, अश्लील हरकतों या फिकरेबाजी करने वालों को किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी जानी चाहिए। पहली बार अपराध करने पर भी उन्हें कठोरतम सजा दी जाए और उन पर स्थानीय प्रशासन की गुप्त निगरानी रखी जाए। यौन अपराधियों का सामाजिक बहिष्कार और सरकारी सुविधाओं से वंचित करना भी प्रभावी हो सकता है।
ईश्वर चंद गर्ग, कैथल
पुरस्कृत पत्र
अच्छा इंसान बनाएं
विदेशी महिला पर्यटकों के साथ दुराचार की घटनाएं देश की छवि को धूमिल करती हैं। यह दर्शाता है कि हमारे गरिमामय संस्कार और जीवन मूल्य धीरे-धीरे क्षीण हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण माता-पिता द्वारा बच्चों की परवरिश में लापरवाही और मोबाइल का गलत उपयोग है। आजकल माता-पिता अपने बच्चों को सिर्फ पेशेवर सफलता के लिए प्रेरित करते हैं, लेकिन यह नहीं सोचते कि उनका बच्चा एक अच्छा इंसान बने। अगर बच्चों की परवरिश में नैतिक मूल्यों को महत्व देंगे, तो समाज में अच्छे नागरिक और जीवन मूल्य स्थापित होंगे।
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, रेवाड़ी