कन्फ़र्म टिकट पर सीट देना रेलवे का जिम्मा
कई बार ट्रेन में ज्यादा भीड़ या किसी सहयात्री के अड़ियल रुख के चलते आप सीट से वंचित रहते हैं। ऐसे में टीसी से शिकायत करें। यदि कार्रवाई न हो तो सेवा में कमी के चलते आप रेलवे के खिलाफ उपभोक्ता आयोग का द्वार खटखटा सकते हैं। वहीं ट्रेन बहुत ज्यादा विलंब से पहुंचना भी सेवा में कमी है।
श्रीगोपाल नारसन
कन्फर्म टिकट लेकर ट्रेन में सीट न मिलने के मामले को उपभोक्ता संरक्षण आयोग ने सेवा में कमी माना है। इसके लिए रेलवे ने उत्तर मध्य रेलवे के डीआरएम को उपभोक्ता सेवा में कमी के लिए 25 हजार रुपए और परिवाद व्यय के रूप में 5 हजार रुपए देने का फैसला दिया है। बता दें कि 17 दिसंबर, 2022 को भोपाल जाने के लिए आर. कुमार नामक उपभोक्ता ने महामना एक्सप्रेस से अपना रिजर्वेशन कराया था। अपने टिकट के साथ वह ट्रेन में सवार हुए तो बहुत भीड़ थी। जिस कारण उन्हें टॉयलेट के पास खड़े होकर सफर करना पड़ा। उन्होंने टीसी से अपनी निर्धारित सीट दिलाने की मांग की। टीसी ने उन्हें भीड़ कम होने पर सीट दिलाने का आश्वासन दिया। लेकिन कहीं भी सीट नहीं मिल सकी। उन्होंने टीसी से लिखित शिकायत की। खड़े-खड़े ही भोपाल तक सफर किया। रेलवे की व्यवस्था से परेशान होकर उन्होंने उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया। दो साल चले केस के बाद आयोग ने रिजर्वेशन के बावजूद सीट उपलब्ध न करा पाने को सेवा में कमी मानते हुए उत्तर मध्य रेलवे झांसी के डीआरएम को राहत एवं परिवाद व्यय राशि अदा करने का आदेश दिया।
रिजर्व सीट दिलाने का जिम्मा रेलवे का
उपभोक्ता आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि रेल अधिनियम 1989 के अनुसार रिजर्वेशन सीट या बर्थ पर यदि कोई अनधिकृत व्यक्ति है तो उसे हटाकर उपभोक्ता को सीट दिलाने की जिम्मेदारी रेलवे की है, लेकिन इस बाबत रेलवे द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया। रिजर्वेशन टिकट होने पर सीट न मिलना उपभोक्ता सेवा में कमी है।
कनेक्टिंग ट्रेन छूटने पर की भरपाई
एक अन्य मामले में जबलपुर जिला उपभोक्ता आयोग की संयुक्तपीठ ने रेलवे द्वारा की गई सेवा में कमी को गंभीरता से लेते हुए अपने एक फैसले में कनेक्टिंग ट्रेन छूटने पर रेलवे को जिम्मेदार ठहराते हुए क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। आयोग ने इस मामले में रेलवे की सेवा में कमी के कारण उपभोक्ता को नुकसान की भरपाई करने का फैसला दिया है। इस मामले में उपभोक्ता जबलपुर के निवासी एक अधिवक्ता हैं। उपभोक्ता आयोग के समक्ष पीड़ित अपनी याचिका में बताया कि उन्होंने 11 मार्च 2022 को जबलपुर से हजरत निजामुद्दीन, नई दिल्ली के लिए स्पेशल ट्रेन से यात्रा की थी,यह टिकट 5 मार्च 2022 को थर्ड एसी में ऑनलाइन बुक किया था। इसके लिए 1293.60 रुपये का भुगतान रेलवे को किया था और टिकट कन्फर्म थी। 11 मार्च को ट्रेन का टाइम दोपहर 3:30 बजे जबलपुर से था और 12 मार्च सुबह 4:10 बजे निजामुद्दीन स्टेशन पर पहुंचने का था। ट्रेन तय समय से लेट हो गई और 10 बजे हजरत निजामुद्दीन पहुंची। इस देरी के कारण उपभोक्ता को उनकी अगली कनेक्टिंग ट्रेन नहीं मिल सकी। याचिका में बताया कि रेलवे की सेवा में कमी के कारण उनकी योजना विफल हो गई। आयोग ने रेलवे को आदेश दिया कि वह उपभोक्ता को 803 रु. टिकट राशि, मानसिक पीड़ा के लिए 5,000 रु.और मुकदमा खर्च 2,000 रु. का भुगतान करे।
जागरूक होने की जरूरत
नई दिल्ली से नीलांचल के थर्ड एसी कोच में सफर कर रहे एक यात्री के ट्रेन के चारबाग स्टेशन पहुंचने पर उनके कोच में अचानक परीक्षार्थियों की भीड़ देखकर घबरा गए। कई परीक्षार्थी उनकी 8 नम्बर बर्थ पर जमकर बैठ गए। वाराणसी तक उन्हें अपनी ही बर्थ पर परेशानी में सफर करना पड़ा। ऐसे ही एक केस में नीलांचल में लखनऊ से सपरिवार आरक्षण कराने वाले एक उपभोक्ता व उनके साथ दो लोग जब एस-5 कोच में पहुंचे तो गेट पर इतनी भीड़ थी कि वे अंदर नहीं घुस सके। ऐसी हालत में अपने हक के लिए जागरूक होने की जरूरत है। आप मौके पर सीट न मिलने पर उप स्टेशन अधीक्षक(वाणिज्य) या फिर टीसी से शिकायत कर सकते हैं या फिर बाद में उपभोक्ता आयोग का द्वार खटखटा सकते हैं। -लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।